संगमरमर के पत्थर पर नाम लिखवाकर ईश्वर की भक्ति नहीं पा सकोगे

हमारे परमपूज्य श्री महाराज जी ने लिखा है कि "अपना नाम चाहे यहां लिखवा लो, चाहे वहां। तुम्हारा नाम तो केवल एक ही जगह लिखा जाएगा, दो जगह नहीं।" इन पंक्तियों में महाराज जी चाहते थे कि अपना नाम जिंदा रखने के लिए संगमरमर के पत्थर पर नाम लिखा कर ईश्वर की भक्ति नहीं पा सकोगे।

उसके दरबार में तुम्हारा नाम पहुंच जाएगा, यह सोच व्यर्थ की मृगतृष्णा है। श्री महाराज जी कहते थे कि पूजा भक्ति देखावे के लिऐ मत करो। ऐसे करो कि किसी को पता न चले। किसी को कह दिया कि 'हम पूजा कर के आते हैं, अभी पूजा करने जा रहे हैं', यह तुम्हारा पूजा का ढोंग है, पूजा नहीं।

श्री महाराज जी की जय सब पर महाराजजी की कृपा बनी रहे।

Popular posts from this blog

स्वस्थ जीवन मंत्र : चैते गुड़ बैसाखे तेल, जेठ में पंथ आषाढ़ में बेल

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

!!कर्षति आकर्षति इति कृष्णः!! कृष्ण को समझना है तो जरूर पढ़ें