सच्ची भक्ति की इच्छा रखने वाले अच्छा खाने-पीने का लोभ नहीं करते
गेंहूँ, जौ, चना, मूंग, अरहर की दाल, भैंस का घी, गाय का दूध, साग-पालक, चौराई, परवल, चचेडा -जीरा, घी से छौंक दे और कुछ नहीं भोजन के १ घन्टा बाद महीन सौंफ ३ मासे खाकर दो घूंट पानी पी ले फिर १ घन्टा पानी न पिये भोजन के बाद साम को भी उसी तरह सौंफ खाय।
सौंफ सुखाकर रख ले डब्बा में आंख की रोशनी कुछ दिन बाद बढ़ जायेगी, परहेज बराबर जारी रहे। भक्ति में मन लगाने की इच्छा रखने वालों को अच्छा -अच्छा खाने- पीने के लालच से ऊपर उठने की भी आवश्यकता होती है और इस उपदेश में महाराज जी हमें सादे खाने -पीने का एक उदाहरण दे रहे हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायी भी है।
ये उपदेश महाराज जी ने 40-50 वर्ष या संभवतः उससे भी पहले दिया होगा परन्तु इसकी सामग्री सरल तो है ही, आसानी से आज भी मिल जाती है। आंख की रौशनी में सुधार तो होगा ही, पाचन क्रिया भी संभवतः सुधर जाएगी। भक्ति में मन भी अधिक लगेगा।
महाराज जी सबका भला करें !