दृढ़ता की कमी होने से साधन में बाधा लगती है
कुछ साधकों को सत्संग आदि में राग होता है और कुछ को प्रेम। सत्संग, भजन, ध्यान आदि में राग होना बुरा नहीं है क्योंकि चाहे जैसे हो भगवान में लगना अच्छा ही है। यही राग धीरे धीरे आगे चलकर अनुराग में बदल जायेगा।
सत्संग, भजन, ध्यान में कोई व्यक्ति बाधा पहुँचाये तो उस पर क्रोध आने से समझना चाहिए कि सत्संग आदि में राग है और उस पर क्रोध न आकर रोना आ जाय तो समझना चाहिए कि सत्संग आदि में प्रेम है।
अपने में दृढ़ता की कमी होने से साधन में बाधा लगती है। इसलिए बाधा लगने पर अपने में लगन की कमी देखकर साधक को रोना आ जाता है। ऐसे ही दूसरे धर्म संप्रदाय आदि के व्यक्ति हमें बुरे लगे तो समझना चाहिए कि अपने धर्म संप्रदाय आदि में हमारा राग है।