गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्य सचिव ने अपने आवास पर फहराया राष्ट्रीय ध्वज


लखनऊ। 72वें गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने मुख्य सचिव आवास पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इस अवसर पर अपने संबोधन में उन्होंने सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें देते हुये कहा कि वर्षों के संघर्ष के बाद हमारे वीर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने 15 अगस्त 1947 को हमें आजादी दिलायी थी लेकिन यह पूर्ण आजादी हमें गणतंत्र दिवस को 26 जनवरी, 1950 को प्राप्त हुई।

पूर्ण आजादी से मतलब है, जब हमारा संविधान लागू हुआ, जब हमारी अपनी व्यवस्था पूरी तरह से लागू हुई, जब हमने देश को गणतंत्र के रूप में स्वीकार किया, यह एक बहुत ही ऐतिहासिक अवसर था। उन्होंने कहा कि आज का दिन हमें एक अवसर प्रदान करता है। अपने कार्यों के बारे में सोचने का, अपने देश के बारे में सोचने का, अपने प्रदेश के बारे में सोचने का और अपने नागरिकों के बारे में सोचने का। उन्होंने कहा कि हम लोग हमेशा अपने अधिकारों की बात करते हैं, जब भी हम कोई बातचीत करते हैं, कोई मांग करते हैं, हमेशा यह बात करते हैं कि हमारा यह अधिकार है हमें मिलना चाहिये। अधिकार अवश्य मिलना चाहिये लेकिन अधिकार के साथ-साथ हमारे संविधान में जो फण्डामेण्टल ड्यूटीज यानी कि जो आधारभूत दायित्व उनका हम कहां तक पालन करते हैं यह उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है।

जब तक हममें से प्रत्येक व्यक्ति मौलिक कर्तव्यों का पालन नहीं करेगा, तब तक हमें अपने मौलिक अधिकारों की प्राप्ति नहीं हो सकेगी। मौलिक अधिकार मौलिक कर्तव्यों के निर्वहन से पूरे होते हैं और अगर मौलिक कर्तव्य हम अपने सही ढंग से उनका निर्वहन करते रहें तो अधिकार स्वतः प्राप्त हो जायेंगे। जैसे बराबरी का अधिकार है, अगर बराबरी देने वाले सबको बराबरी से पेश आये समाज में भी सरकार में भी प्रत्येक स्थान पर हम अपने भाइयों-बहनों से बिना किसी जाति के बिना किसी धर्म के भेदभाव के बराबरी से व्यवहार करें सरकार में जो लोग हैं वह भी बराबरी से व्यवहार करें तो बराबरी का अधिकार अपने आप प्राप्त हो जाता है। इसमें किसी न्यायालय और किसी कार्यवाही की जरूरत नहीं पड़ती।



उन्होंने कहा कि आज हम यह संकल्प लें कि हम अपने दायित्वों को जो हमारी संविधान की मंशा है उसके अनुसार उसका निर्वहन करें, ईमानदारी से और एक-दूसरे नागरिक के प्रति सम्मान एवं प्रेम की भावना से उनके लिये चिंता की भावना से केवल मैं ही न सोचें हम सोचें कि हम सब मिलकर क्या कर सकते हैं। हम सबका कल्याण कैसे हो सकता है यह बहुत महत्वपूर्ण है। आज के इस अवसर पर अपने सुरक्षा कर्मियों को अपने सेना के जवानों को अपने उन अमर शहीदों को भी याद करता हूं नमन करता हूं जिनके त्याग एवं बलिदान के बल पर आज हम सब एक स्वतंत्र देश में एक सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर पा रहे हैं।

अपने किसान भाइयों और वैज्ञानिकों को भी उनका भी नमन करना चाहता हूं किसानों की मेहनत से ही हमारा देश पूर्ण रूप से खाद्यान्न पर आत्मनिर्भर है। वैज्ञानिकों की मदद से जैसे हमने कोरोना की दो वैक्सीन बनायी हैं पूर्ण रूप से हमारे वैज्ञानिकों हमारे देश के वैज्ञानिकों की देन है। हमें किसी और देश से अब दवाओं के लिये या वैज्ञानिक उपकरणों के लिये हाथ फैलाना नहीं पड़ता। सबकुछ हम स्वयं करने में सक्षम हैं हमारे वैज्ञानिक सक्षम हैं।

अंत में उन्होंने सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें देते हुए-

सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्चयन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत।।

कहकर सभी से देश व प्रदेश की खुशहाली के लिये निरन्तर प्रगति के रास्ते पर चलने का आह्वान किया।

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