गुरूद्वारा नाका हिन्डोला में बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया शहीद बाबा दीपसिंह जी का जन्मोत्सव
लखनऊ। आज 26 जनवरी 2021, दिन मंगलवार को शहीद बाबा दीप सिंह जी का 339वाँ जन्मोत्सव श्री गुरूसिंह सभा ऐतिहासिक गुरूद्वारा नाका हिन्डोला लखनऊ में बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया।
प्रातः का दीवान सुखमनी साहिब जी के पाठ से आरम्भ हुआ उसके उपरान्त रागी भाई राजिन्दर सिंह ने आसा दी वार का शबद कीर्तन गायन कर संगत को निहाल किया। मुख्य ग्रंथी ज्ञानी सुखदेव सिंह ने गणतंत्र दिवस पर देश की अखण्डता, समृद्धि, खुशहाली की गुरू महाराज के चरणों में अरदास की। शाम का विशेष दीवान 6.15 बजे श्री रहिरास साहिब के पाठ से आरम्भ हुआ जो रात्रि 09.15 बजे तक चला। हजूरी रागी भाई राजिन्दर सिंह ने शबद कीर्तन गायन एवं नाम सिमरन द्वारा समूह साध-संगत को निहाल किया।
ज्ञानी हरविन्दर सिंह सुहाणा वालों ने शहीद बाबा दीप सिंह के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि बाबा दीपसिंह जी का जन्म 26 जनवरी 1682 को ग्राम पहुविंड तहसील पट्टी, जिला अमृतसर में हुआ था। आपके पिता का नाम भाई भगता एवं माता का नाम जीऊणी था।आप दसवें गुरू श्री गुरूगोबिन्द सिंह जी के परम शिष्य थे। गुरमुखी, फारसी, अरबी भाषा का ज्ञान, घुड़सवारी एवं शस्त्र विद्या में निपुणता गुरू जी से ही सीखी। सिक्ख धर्म के महान योद्धा बाबा दीपसिंह जी की शहादत की मिसाल पूरे विश्व में कहीं नहीं मिलती। मुरादबेग ने अहमद शाह अब्दाली को पत्र लिखकर भारत पर हमला करने की गुजारिश की।
अब्दाली ने एक लाख की फौज के साथ हमला कर दिया। क्रूरता की सारी हदें पार कर दी। फौज ने जब बच्चों और स्त्रियों को भी नहीं बक्शा। सिख समुदाय के बाबा दीपसिंह से यह देखा न गया। बाबा दीपसिंह ने प्रण लिया कि ‘‘खालसा सो जो चढे़ तुरंग, खालसा सो जो करे नित जंग’। 1757 में (75वर्ष की आयु में) गोलवड़ के टिब्बे पर 40,000 फौजियों ने हमला कर दिया। बाबा दीपसिंह अपने साथियों बाबा नौध सिंह, भाई दयाल सिंह, बलवंत सिंह, बसन्त सिंह और कई यो़द्धाओं के साथ मुकाबला किया। धर्म की रक्षा करने के साथ ही महिलाओं एवं बच्चों की रक्षा करने वाले बाबा दीप सिंह 18 सेर का दो धारी खंडा (दो धार वाली तलवार) लेकर मैदान-ए-जंग में लड़ते रहे।
बाबा ने सुधासर (अमृतसर) में शहीद होने का प्रण लिया था। बाबा का सिर जंग में कट जाने के बावजूद एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में सिर लेकर वह गुरू रामदास के चरणों में पहुॅच गये। वहाँ अब बाबा के नाम से टाहला साहिब गुरूद्वारा है। बाबा के शरीर का जहाँ संस्कार किया गया, वहाँ अब गुरूद्वारा शहीदगंज बाबा दीपसिंह जी बना है। कार्यक्रम का संचालन सतपाल सिंह मीत ने किया। दीवान की समाप्ति के उपरान्त लखनऊ गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष स0 राजेन्द्र सिंह बग्गा ने साध संगत को शहीद बाबा दीपसिंह जी का जन्मोत्सव की बधाई दी। पुलाव का लंगर वितरण की सेवा दशमेश सेवा सोसाइटी द्वारा की गई।