साधक का उद्देश्य आध्यात्मिक होना चाहिए लौकिक नही
यह संसार मात्र प्रभु का है, परंतु जीव भूल वश प्रभु की वस्तु को अपनी मान लेता है और इसलिए बन्धन में पड़ जाता है। किसी भी मार्ग का साधक हो उसका उद्देश्य आध्यात्मिक होना चाहिए, लौकिक नही।
वास्तव में उद्देश्य या आवश्यकता सदैव नित्य तत्व की (आध्यात्मिक) होती है और कामना सदैव अनित्य तत्व (उत्पत्ति विनाश शील वस्तु) की होती है। साधक में उद्देश्य होना चाहिये, कामना नहीं। संसार को अपना देखना ही पतन है और अपना न देखना ही उत्थान है।