'बर्ड-फ्लू' पक्षियों से इंसानों में फैल सकता है "एवियन इंफ्लूएंजा"

जैसा कि कानपुर जू में बर्ड फ्लू ने दस्तक दे दी है, ऐसे में आवश्यक है कि स्थितियां सामान्य होने तक शाकाहारी बने, यदि सम्भव ना हो तो मांसाहार न्यूनतम हो। पक्षियों के मामले में विशेष सावधानी बरतना आवश्यक है, पक्षी को भोज्य के रूप में कतई ग्रहण ना करें।

मुर्गे या बतख जैसे पक्षी के कारोबार से जुड़े लोगों में बर्ड फ्लू का खतरा ज्यादा होता है लेकिन एहतियात बरतते हुए वे खुद को बचा सकते हैं। पोल्ट्री फार्म में काम करने वाले लोग ग्लव्स आदि का इस्तेमाल करें। पक्षियों के शवों को न छुएं और इसकी जानकारी तत्काल प्राधिकारियों को दें। एवियन इंफ्लूएंजा मल, लार व संक्रमित पक्षी के स्राव के जरिये इंसानों में फैलता है। अमेरिकी बर्ड फ्लू इंसानों को भी संक्रमित कर सकता है। ऐसा तब होता है जब वायरस हवा में होता है और इंसान गहरी सांस ले लेता है। इस दौरान वायरस आंखों, मुंह या नाक के जरिये इंसान के शरीर में प्रवेश कर जाता है।

सभी एवियन इंफ्लूएंजा वायरस इंसानों को संक्रमित नहीं करते। हालांकि, कुछ वायरस इंसानों में गंभीर बीमारी पैदा कर सकते हैं। एवियन इंफ्लूएंजा H5N8 वायरस, जिसे सामान्य तौर पर बर्ड फ्लू के रूप में जाना जाता है, उनमें से एक है। यह श्वसन प्रणाली में संक्रमण पैदा कर सकता है। बतख व हंस जैसे पक्षियों की कुछ प्रजातियों को इंफ्लूएंजा टाइप-ए वायरस का प्राकृतिक वास माना जाता है। ये अपने मल के जरिये रोग का प्रसार करते हैं।

इंसान से इंसान में बर्ड फ्लू का प्रसार सामान्य नही है। जो लोग संक्रमित पक्षियों के बीच काम करते हैं चाहे वे जीवित हों या मृत या बिना पकाए या अधपका मुर्गा या बतख का सेवन करते हैं उन्हें बर्ड फ्लू का खतरा ज्यादा होता है। जब संक्रमित पक्षी पंख फड़फड़ाता है या घुमाता है तो वायरस हवा में ड्रॉपलेट्स या धूल के रूप में फैल जाते हैं। ये वायरस जब इंसान के अंदर प्रवेश कर जाते हैं तो वह संक्रमित हो जाता है।

बर्ड फ्लू मामूली से लेकर गंभीर बीमारी का रूप ले सकता है। इसके प्रमुख लक्षणों में बुखार, खांसी, गले में दर्द, सर्दी-जुकाम, मांसपेशियों व शरीर में दर्द, थकान, सिरदर्द, आंखें लाल होना व सांस लेने में परेशानी आदि शामिल है। इन्फ्लूएंजा वायरस से वर्ष 1997 में मानव संक्रमण के कई मामले सामने आ चुके हैं वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि बर्ड फ्लू एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन दुर्लभ है। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2003 से वर्ष 2019 के बीच दुनिया भर में H5N1 के कुल 861 मानव मामलों की पुष्टि की, जिनमें से 455 मौत हो गई। यह एक बड़ा आंकड़ा है तथा संक्रमित होने वालों में 60% की मृत्यु की पुष्टि करता है।

बर्ड फ्लू की कई किस्में होती हैं। इ‍नमें 05 वायरस होते हैं। ये H7N3, H7N7, H7H9, H9N2 और H5N1 हैं। इसमें H5N1 सबसे खतरनाक वायरस होता है। हर बार इसके वायरस स्‍ट्रेन बदलते रहते हैं। इनकी दो प्रापर्टीज होती हैं। इ‍नमें एंटीजेनि‍क शि‍फ्ट और एंटीजेनि‍क डि‍फ़ट शामि‍ल होता है। इसलिए जानकारी ही बचाव है, सजग रहें।
 

-निखिलेश मिश्रा

Popular posts from this blog

स्वस्थ जीवन मंत्र : चैते गुड़ बैसाखे तेल, जेठ में पंथ आषाढ़ में बेल

जेवर एयरपोर्ट बदल देगा यूपी का परिदृश्य

भाजपा का आचरण और प्रकृति दंगाई किस्म की है- अखिलेश यादव