पश्चाताप के बिना सच्ची साधना का आरम्भ नहीं होता


🌸 श्री गुरूदेव महाराज जी के पंचामृत 🌸

१. मनुष्य का चेहरा ही उसके हृदय का दर्पण है। जैसे हृदय में भाव होंगे वैसी मुखाकृति दिखाई पड़ेगी।

२. यदि इष्ट को भूले हो तो ब्रम्हा की आयु भी भोगना व्यर्थ है।

३. बिना पश्चाताप के सच्ची साधना का आरम्भ नहीं होता।

४. मन में शंका और चिंता का प्रवेश न हो वही सच्चा एकान्त है।

५. लोक कल्याण को अपने कल्याण से भी अधिक मानना सच्ची साधुता और उदारता है।

जय जय महाराज जी

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