मूर्ख सलाहकारों से घिरे हुए है मुख्यमंत्री योगी, नई आबकारी नीति है इसका प्रमाण- वैभव माहेश्वरी


लखनऊ। प्रदेश की जनता ने वोट देकर कोई गुनाह नहीं किया था, जो सरकार उसे कदम कदम पर प्रताड़ित करने का काम कर रही है। कभी स्मार्ट मीटर से परेशान बिजली उपभोक्ताओं को दफ्तरों के चक्कर कटवाए जाते हैं, तो कभी चेक मीटर के नाम पर फिर से उनकी जेब हल्की की जा रही है।

ऐसे कानून लाए जा रहे हैं कि सरकार के विभाग जब चाहें आम नागरिक के घर की तलाशी ले सकें। ये बातें आम आदमी पार्टी के प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता वैभव माहेश्वरी ने रविवार को प्रदेश कार्यालय पर आयोजित पत्रकार वार्ता में कहीं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मूर्ख सलाहकारों से घिरे हुए हैं, जो उन्हें कभी स्मार्ट मीटर लगवाने तो कभी कोई हास्यास्पद कानून लाने का सुझाव देते हैं।

वैभव माहेश्वरी ने कहा कि प्रदेश की जनता ही स्मार्ट मीटर से हो रही अतिरिक्त वसूली से त्रस्त है। अब तक लाखों शिकायतें आ चुकी हैं। 30 से 40% तेज चल रहे स्मार्ट मीटर से हो रही गलत बिलिंग के कारण 1,440 उपभोक्ताओं के कनेक्शन कटवाने की खबर पिछले दिनों आई थी। लोग शिकायत लेकर बिजली विभाग के दफ्तर जाते हैं, तो उन्हें वहां पैम्फलेट पकड़ा कर बिजली बचाने के उपाय बताए जाते हैं। बड़ी कोशिशों पर उपभोक्ता को चेक मीटर लगाने का आश्वासन दिया जाता है। इसका पैसा भी विभाग उपभोक्ता से वसूलता है।

वैभव माहेश्वरी ने सवाल उठाया कि आखिर क्या कारण है जो सरकार ठग मीटरों को वापस नहीं ले रही। उन्होंने स्मार्ट मीटर को हत्यारा मीटर करार दिया। बताया कि इसी के चलते आए गड़बड़ बिल से परेशान होकर बनारस के रहने वाले दर्जी अशोक कुमार को खुदकुशी करनी पड़ी थी। वैभव माहेश्वरी ने कहा कि हद तो यह है कि सरकारी विभाग भी इन ठग मीटरों से अछूते नहीं रहे। पहले लखनऊ के ट्रैफिक लाइटों का महीने का बिल जितना आता था। अब उतना बिल दो-तीन दिन का ही बन जा रहा है।

1090 चौराहे पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा और ₹14 हजार का रिचार्ज किया गया। महज 2 दिन में बैलेंस खत्म हो गया और लाइटें बंद हो गईं। ऐसी स्थिति में कभी भी बड़ी दुर्घटना घट सकती है।माहेश्वरी ने प्रदेश में लगे सभी 12 लाख स्मार्ट मीटर वापस लेने और इससे हुई अतिरिक्त वसूली को ब्याज समेत उपभोक्ताओं के अगले बिल में समायोजित करने की मांग की। मुख्य प्रदेश प्रवक्ता वैभव माहेश्वरी ने नए आबकारी कानून को हास्यास्पद बताया। कहा, मुख्यमंत्री के कुछ सलाहकार उन्हें अजब-गजब सलाह देकर उनकी जग हंसाई कराने का काम कर रहे हैं। 

यह बिल्कुल बेतुका कानून है कि कोई आम नागरिक सरकार की लाइसेंसी दुकान से शराब खरीद कर घर ले जाए, तो उसे घर पर शराब रखने के लिए अलग से लाइसेंस शुल्क जमा करना होगा।सरकार इस तरह के कानूनों के जरिए अब अपने विभागों की पैठ आम आदमी के घर के अंदर करने के प्रयास में है। ऐसे कानूनों के होने से कोई विभाग कभी भी किसी आम नागरिक के घर का दरवाजा खुलवा कर छापेमारी कर सकता है। सवाल उठाया कि क्या कच्ची शराब से हो रही मौतों को रोकने के लिए सरकार के पास यही उपाय है। वैभव माहेश्वरी ने इस कानून को अविलंब वापस लेने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री को इस तरह का सुझाव देने वाले मूर्ख सलाहकारों से दूर होने की सलाह दी।

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