बजट में समग्रता का अभाव, उत्तर प्रदेश की हुई उपेक्षा- नैमिष प्रताप सिंह


 
कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी का सामना करने के दौरान भारत सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए आज प्रस्तुत हुए बजट से यह अपेक्षा थी कि कोरोना वायरस से मुक्ति दिलाने के लिए निर्णायक कदम उठाये जायेंगे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोक अपेक्षा के अनुरुप कोविड-19 से बचाव की प्रकिया में वैक्सीन के लिए 35000 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है, जो बिलकुल सही है।
 
यह वकतव्य लोक शक्ति अभियान के अध्यक्ष एवं 36 रायबरेली लोकसभा क्षेत्र से पूर्व स्वतंत्र प्रत्याशी नैमिष प्रताप सिंह ने व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आदिवासी इलाको में एकलव्य स्कूल खोलने की योजना है। इसके अलावा समाज के निचले पायदान पर खड़े अनुसूचित जाति के लिए 35000 करोड़ रूपये के बजट का एलान और 100 नए सैनिक स्कूल खोलने की घोषणा सराहनीय कदम है। नैमिष प्रताप सिंह ने यह भी कहा कि हमें यह इसे स्वीकार करना होगा कि बजट में कृषि क्षेत्र की भरपूर उपेक्षा की गई है। वित्त मंत्री का यह कहना कि एमएसपी पर फसलों की खरीददारी हो रही है, यह सच्चाई से मुंह मोड़ना है।
 
असलियत यह है कि अनाज के सरकारी क्रय केन्द्र बिचौलियों - सरकारी कर्मचारियों के मनमानी के हवाले है। यदि वित्त मंत्री को किसानों की तनिक मात्र चिंता होती तो वे कृषि उत्पादों को लागत से डेढ़ गुना खरीद को कानूनी स्वरुप देने का प्रावधान करने का घोषणा करती। इसके अलावा लघु एवं सीमांत किसानों को संपूर्ण ऋण माफी की भी घोषणा की जाती। किसानों को कर्ज मुक्त करना शहरी स्वच्छ भारत मिशन जैसी दिखावटी योजनाओं में होने वाले खर्च से ज्यादा जरूरी है। वित्त मंत्री ने प्रवासी मजदूरों के लिए ' एक देश एक राशन योजना ' का प्रावधान करना उचित है लेकिन कोविड - 19 ने जिस तरह से श्रमिकों को दयनीय हालत में पंहुँचा दिया है उसे देखते हुए प्रत्येक श्रमिक को एक बार रू.10000 देने की योजना होनी चाहिए थी। बजट में सार्वजनिक सम्पत्तियों को बेचने की बात करना अहितकारी है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मात्रा को बढ़ाना भी ठीक नहीं है।
 
इसके अलावा नैमिष प्रताप सिंह ने यह भी कहा कि वित्त मंत्री ने बजट को चुनावी बनाने का प्रयास किया है। एक तरफ बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु जैसे राज्यों पर जहां चुनाव होने वाले है वहाँ विशेष ध्यान दिया गया है लेकिन उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों की उपेक्षा की गई है। सरकार डिजिटालाइजेशन की बात कर रही है लेकिन साइबर सुरक्षा पर फोकस नहीं है। आज के दौर में जब आनलाइन पढ़ाई - लिखाई हो रही है तब मोबाइल और चार्जर मंहगा करना और सोना - चाँदी सस्ता करना वित्त मंत्री की नीयत पर सवाल खड़ा करता है। वित्त मंत्री को गरीब विद्यार्थियों को मोबाइल पर 50 % छूट देने का प्रावधान करना चाहिए था। कुल मिलाकर वित्त मंत्री और सत्ताधारी दल बजट की चाहे जितनी प्रशंसा करें लेकिन इसमें संतुलन का बेहद अभाव है।

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