भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण ने सभी बीमा कंपनियों को डि‍जिटल बीमा पॉलिसियां डिजीलॉकर के जरिए जारी करने की दी सलाह


भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण(आईआरडीएआई) ने 09 फरवरी, 2021 को जारी एक परिपत्र में सभी बीमा कंपनियों को अपनी डि‍जिटल बीमा पॉलिसियां डिजीलॉकर के जरिए जारी करने की सलाह दी है। परिपत्र में कहा गया है, ‘‘बीमा क्षेत्र में डिजीलॉकर व्‍यवस्‍था को अपनाने को प्रोत्‍साहित करने के लिए अथॉरिटी सभी बीमा कंपनियों को अपनी सूचना प्रौद्योगिकी व्‍यवस्‍था को लागू करने और डिजीलॉकर सुविधा इस्‍तेमाल करने की सलाह देती है, ताकि बीमा पॉलिसी धारक अपने सभी पॉलिसी दस्‍तावेजों को संरक्षित रखने के लिए डिजीलॉकर का इस्‍तेमाल कर सकें।’’ 

परिपत्र में यह भी कहा गया है कि बीमा कंपनियां अपने उपभोक्‍ताओं को डिजीलॉकर सुविधा के बारे में सूचित करें और उन्‍हें इसके उपयोग के बारे में जानकारी दें। बीमा कंपनियों को यह भी सलाह दी जाती है कि वे ऐसी प्रक्रिया अपनाए, जिससे उनके उपभोक्‍ता अपनी पॉलिसियों को डिजीलॉकर में रख सकें। इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का राष्‍ट्रीय ई-गवर्नेंस विभाग (एनईजीडी) इस संदर्भ में आवश्‍यक तकनीकी मार्ग-निर्देशन और लॉजिटिक्‍स सहायता उपलब्‍ध कराएगा। डिजीलॉकर भारत सरकार के इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत एक पहल है, जिसमें नागरिकों को बीमा कंपनियों की ओर से जारी प्रमाण-पत्रों के मूल दस्‍तावेज और प्रमाण-पत्र डिजिटल फॉरमेट में प्राप्‍त हो सकेंगे।

इसका लक्ष्‍य कागजी दस्‍तावेजों के इस्‍तेमाल को कम करना या समाप्‍त करना है और इससे सेवा प्रदान करने की कुशलता बढ़ेगी, नागरिकों को इसका इस्‍तेमाल करने में आसानी होगी और उनकी परेशानी कम होगी। बीमा क्षेत्र में डिजीलॉकर, लागत को कम करने, उपभोक्‍ताओं की पॉलिसी दस्‍तावेज की प्रति नहीं मिलने की शिकायतों को दूर करने, बीमा सेवा की प्रक्रिया में सुधार करने, दावों का तेजी से निष्‍पादन करने, विवादों और धोखाधड़ी के मामलों को कम करने और उपभोक्‍ताओं से अधिक बेहतर सम्‍पर्क कायम करने में मदद करेगा। कुल मिलाकर उम्‍मीद की जाती है कि इससे उपभोक्‍ताओं का अनुभव काफी बेहतर होगा।

आईआरडीएआई का यह फैसला उस पत्र की पृष्‍ठभूमि में आया है जो इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एवं सूचना प्रौद्योगिकी और मानव संसाधन विकास राज्‍य मंत्री संजय धोत्रे ने वित्‍त एवं कॉरपोरेट मामलों के राज्‍य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर को लिखा था। इस पत्र में उन्‍होंने कहा था कि डिजिटल बीमा पॉलिसियों को नागरिकों के डिजीलॉकर खातों में जारी किए जाने की व्‍यवस्‍था होनी चाहिए। अपने पत्र में धोत्रे ने ठाकुर से अनुरोध किया था कि आईआरडीएआई को सलाह दी जाए कि वह सभी बीमा कंपनियों को इस बारे में परामर्श जारी करे कि वे सभी बीमा पॉलिसी धारकों की डिजिटल पॉलिसियों को डिजीलॉकर खातों में उपलब्‍ध कराएं और डिजीलॉकर द्वारा जारी दस्‍तावेजों को वैध दस्‍तावेज के तौर पर स्‍वीकार किया जाए।

इससे उन्‍हें अपनी सभी बीमा पॉलिसियों तक सुरक्षित और वैध तरीके से पहुंच बनाने और उनका प्रबंधन करने का एक वै‍कल्पिक माध्‍यम मिलेगा। यह बीमा पॉलिसी धारकों के लिए भी बहुत महत्‍वपूर्ण होगा। किसी भी नागरिक और उसके परिवार के लिए बीमा प्रमाण-पत्र एक महत्‍वपूर्ण दस्‍तावेज है। इस दस्‍तावेज तक समय पर पहुंच बना पाना उसके लिए बहुत महत्‍वपूर्ण है। अत: डिजीलॉकर के माध्‍यम से डिजिटल बीमा प्रमाण-पत्र उपलब्‍ध कराने से नागरिकों के लिए यह प्रक्रिया बहुत आसान हो जाएगी।

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