जो गन्ने का दाम न दे सके, वे क्या समझेंगे किसानों के जान की कीमत- प्रियंका गांधी

बिजनौर। बिजनौर के चांदपुर में आयोजित किसान पंचायत को सम्बोधित करते हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महासचिव एवं प्रभारी उ0प्र0 प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि मैं आज भाषण देने नहीं आई हूं, आपसे बातचीत करने आई हूं क्येांकि मेरी समझ में नेता और जनता के बीच में बहुत खास रिश्ता होता है। आप इसे बनाते हैं। हम उस पर खड़े होते हैं सपोर्ट करने वाले आप हैं।

आपके और हमारे बीच में भरोसे का रिश्ता होता है। वह जो भरोसा होता है उसी के बल पर आप एक नेता को आगे बढ़ाते हैं क्योंकि आप सोचते हैं आपको एहसास होता है कि वह आपके पक्ष में बोलेगा, आपकी समस्याओं की सुनवाई होगी, आपके पास खड़ा रहेगा, दुख में आएगा, दर्द में आएगा, खुशी में आएगा और आपका प्रतिनिधित्व वो नेता करेगा। तो कभी-कभी मन में आता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो-दो बार जनता ने क्यों चुना? इसीलिए जिताया होगा कि मन में उम्मीद रही होगी, कुछ भरोसा रहा होगा कि वह आपके लिए काम करेंगे।

प्रियंका गांधी ने अपने उद्बोधन में कहा कि वह आपके सामने आए। पहला चुनाव हुआ, बड़ी बड़ी बातें हुई। करोड़ों रोजगार की बातें हुई, आपको आगे बढ़ाने की बात हुई, छोटे व्यापारी को आगे बढ़ाने की बात हुई, तमाम निर्णय लिए गए। उसके बाद अगला चुनाव आया, अगले चुनाव में जहां-जहां गए, मोदी ने किसानों की बात, बेरोजगारी की बात की थी कि उसको दूर करेंगे। आपको कहा कि आपकी आय दुगनी करेंगे, अपना बनाएंगे। ऐसी ऐसी नीतियां लायेंगे जिससे खुशहाली बढ़ेगी, लेकिन क्या हुआ? असलियत यह है कि उनके राज में ऐसा कुछ नहीं हुआ।

उन्होने आगे कहा कि आप बताइए, क्या आपकी कमाई दुगुनी हुई है? क्या गन्ने का दाम 2017 से बढ़ा है? आप सब गन्ना किसान हैं, आपने जो निर्णय लिया है। सरकार ने क्या गन्ने का दाम बढ़ाए। आपका बकाया कितना है? आपको मालूम होगा कि यूपी किसानों का, गन्ना किसानों 10 हजार करोड़ बकाया है और पूरे देश भर के गन्ने का बकाया देखा जाए तो 15 हजार करोड़ बकाया है, आप सोच सकते हैं ऐसे प्रधानमंत्री हैं। आपका बकाया अब तक पूरा नहीं किया लेकिन अपने लिए, दुनिया में भ्रमण करने के लिए इन्होंने दो हवाई जहाज खरीदे हैं।

एक शायर ने कहा था- "जो भगवान का सौदा करता है इंसान की कीमत क्या जाने, जो गन्ने की कीमत दे न सका वह जान की कीमत क्या जाने।।" उन्होने कहा कि जैसे कि आपके ऊपर काफी संकट नहीं थे। इस सरकार ने 3 नए कानून बना दिए हैं और जितना भी आंदोलन हो रहा है देश में, जो किसान 80 दिनों से दिल्ली के बॉर्डर पर सर्दी में इतने दिनों से बैठे हुए हैं, अब गर्मी की तैयारी कर रहे हैं वो किसलिए बैठे हैं? प्रधानमंत्री कहते हैं ये जो कानून बने हैं ये किसान की भलाई के लिए बने है। उन्होने कहा कि ठीक है मान भी लेते हैं कि किसान की भलाई के लिए बनाए हैं आपने कानून लेकिन जब किसान मना कर रहा है जब किसान कह रहा है कि भैया हमें ये कानून नहीं चाहिए तो आप वापस क्यों नहीं ले रहे हैं? क्या आप किसी की भलाई जबर्दस्ती करते हैं? क्या आपकी समझ इस देश के करोड़ों किसानों की समझ से ज्यादा है? क्या ये नहीं जानते कि इनकी भलाई के लिए क्या है, क्या नहीं है। फिर सरकार कहती है शायद समझ नहीं पाये हैं किसान कि कानून क्या है।

उन्होने कहा कि सरकार ने जो यह कानून बनाए हैं। तीनों कानून किसान के लिए नहीं बनाये गये है। ये इनके पूंजीपति मित्रों के लिए बनाए गए हैं और यह देश अंधा नहीं है, देख रहा है 7 सालों से क्या हो रहा है देश में। देश का एक-एक देशवासी देख रहा है कि चाहे कुछ भी हो, बड़े से बड़े सरकारी उद्योग हों, वह सिर्फ दो तीन जनों को दिख रहे हैं। इन्हीं के पूंजीपति मित्र सारी मीडिया चलाते हैं इन्हीं के पूंजीपति मित्रों के द्वारा इनके चुनाव चलते हैं इन्हीं पूंजीपति मित्रों को पूरा देश सौंप दिया गया है।

प्रियंका गांधी ने कहा कि चाहे हवाई अड्डे हो, चाहे बड़े बड़े उद्योग हों, 75 सालों में जितना भी सरकार ने काम किया, बेरोजगारी को हटाने के लिए भी जो बड़े बड़े उद्योग बने, सब बेंच डाले हैं और जो अब तक बिके नहीं है उसको बेंचने की भी योजना कर डाले हैं। तो आप सोच सकते हैं कि ऐसी सरकार आपके लिए क्या करेगी? और अगर अभी भी आपको  इनसे उम्मीद है तो जरा गहराई से सोचिए कि यह आपके लिए कुछ करने नहीं वाले हैं। प्रियंका गांधी ने कहा कि मैं आज यहां आपसे कहने आयी हूं कि मैं आपका साथ नहीं छोड़ूंगी। जब जब आप संकट में होंगे। मैं आपके पास मौजूद रहूंगी। मेरी जान मेरा धर्म।

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