श्रम विभाग ने KGMU को जारी किया कारण बताओ नोटिस


लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU), लखनऊ में लगभग 20 वर्षों से श्रम कानूनों का उल्लंघन होता पाया गया। श्रम विभाग ने कारण बताओ नोटिस जारी कर 06 मार्च 2021 को रजिस्ट्रार सहित सभी 10 सेवा प्रदाता एजेंसियों के संचालको को तलब किया।

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ में लम्बे समय से सेवा-प्रदाता एजेंसियों के माध्यम से नियुक्त किये गए संविदाकर्मियों के मामले में बड़े पैमाने पर श्रम कानूनों का उल्लंघन किया जा रहा है | यह बात सुरेश चंद्रा, प्रमुख सचिव, श्रम एवं सेवायोजन विभाग उ०प्र० शासन के निर्देश पर अपर श्रमायुक्त, लखनऊ द्वारा 28-12-2019 को गठित संयुक्त टीम द्वारा की गयी जांच के दौरान सामने आयी है। फतेह बहादुर सिंह, अध्यक्ष, राष्ट्रीय जनाधिकार परिषद् की शिकायत पर शासन ने किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में श्रम कानूनों के उल्लंघन की जांच के आदेश दिए।

जांच में पाया गया कि संस्थान ने प्रधान नियोक्ता के तौर पर न तो खुद को संविदा श्रमिक (विनियमन तथा उन्मूलन) अधिनियम-1970 के अधीन पंजीकृत कराया है और न ही ठेके पर अपने यहाँ काम करने वाली 10 सेवा प्रदाता एजेंसियों का ही पंजीकरण कराया है और इस प्रकार करीब 20 वर्षों से संविदा कर्मियों का शोषण किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशासन तथा श्रम विभाग की मिलीभगत से बदस्तूर जारी है। राष्ट्रीय जनाधिकार परिषद् द्वारा शासन से की गयी शिकायत के बाद अब जाकर प्रधान नियोक्ता के रूप में चिकित्सा विश्वविद्याल ने खुद का तथा ठेकेदार के रूप में 8 आउट्सोर्सिंग एजेंसियों का रजिस्ट्रेशन कराया है लेकिन ऐक्ट के अनुसार न तो वेतन दिया जा रहा है और न ही अन्य सुविधाएं ही अभी तक प्रदान की जा रही हैं।

संविदा श्रमिक (विनियमन तथा उन्मूलन) नियम-1971 की धारा 25-2(V) (A) के अनुसार, In cases where the workmen employed by the contractor perform the same or similar kind of work as the workmen directly employed by the principal employer of the establishment, the wage rates, holidays, hours of work and other condition of service of the workmen of the contractor shall be the same as applicable to the workmen directly employed by the principal employer of the establishment on the same or similar kind of work.

हिंदी रूपांतरण- (उन मामलों में जहां ठेकेदार द्वारा नियोजित श्रमिक उसी तरह के या समान कार्य करते हैं जैसे कि कामगार सीधे स्थापना के प्रमुख नियोक्ता द्वारा नियोजित करते हैं, मजदूरी दर, छुट्टियां, काम के घंटे और सेवा की अन्य स्थिति। ठेकेदार के कामगार उसी तरह के या उसी तरह के काम पर प्रतिष्ठान के प्रमुख नियोक्ता द्वारा सीधे काम करने वाले श्रमिकों के लिए लागू होंगे:) सभी संविदा कर्मकारों को उपरोक्त व्यवस्था के अनुसार मजदूरी का भुगतान किया जाना प्रबंधतंत्र के लिए बाध्यकारी है, लेकिन KGMU प्रबंधन संविदा कर्मियों/ अस्थाई कर्मचारियों को अति अल्प मजदूरी का भुगतान कर उनका लम्बे समय से शोषण कर रहा है।

KGMU प्रशासन का यह कृत्य भारतीय संविधान के अनुच्छेद–21, 14 तथा संविदा श्रमिक (विनियमन तथा उन्मूलन) अधिनियम- 1970 व अन्य श्रम अधिनियमों का उल्लंघन होने के साथ-साथ अमानवीय भी है। राष्ट्रीय जनाधिकार परिषद् के अध्यक्ष, फतेह बहादुर बहादुर सिंह ने बताया कि यदि किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में कार्यरत सभी संविदा श्रमिकों को संविदा श्रमिक (विनियमन तथा उन्मूलन) अधिनियम-1970  के अनुसार निर्धारित मजदूरी का भुगतान व अन्य कानूनी सुविधाएं तत्काल प्रबंधन द्वारा प्रदान नहीं की गयीं, तो मजबूर होकर आन्दोलन के लिए बाध्य होना पडेगा। परिषद् ने इस सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश शासन, श्रमायुक्त कानपुर तथा अपर श्रमायुक्त लखनऊ को अवगत करा दिया है।

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