कालबाधन तिथि बढ़ाये जाने से व्यापारियों ने ली राहत की साँस


वैट अवधि के अन्तिम कर निर्धारण वर्ष का कालबाधन 31 मार्च जैसे-जैसे निकट आ रहा था। व्यापारियों अधिवक्ताओ तथा अधिकारियों सभी के मन मस्तिष्क में एक ही भाव आ रहा था कि यदि समय नही बढ़ा तब क्या होगा। कारण स्पष्ट था कि साढ़े तीन लाख केस पेन्डिग थे समय केवल आठ दिन बचा था । समस्या समझने को कोई राज़ी नही था।

ऐसे कठिन समय में वाणिज्य कर आयुक्त के रूप में विभाग में मिनिस्ती एस मैडम का आना हुआ । आते ही प्रदेश स्तरीय व्यापक समस्या सामने खड़ी मिली। समस्याओं से दो-चार होने में आह्लाद का अनुभव करने वाली कमिश्नर की जब अधिवक्ता संगठनों व्यापारिक संघों तथा अधिकारियों से इस सम्बंध में वार्ता हुयी तब उन्हें यह समझने में देर नही लगी कि यह तो ऐसा कार्य है जिसमें दोषी कोई नही लेकिन दबाव में सभी हैं। समस्या का मूल कारण यह निकल कर आया कि विगत वर्ष जिस कोविड के कारण समय बढ़ाया गया था वह तत्समय तो हितकर था लेकिन उसी के कारण वर्ष 20-21 में जो समय 17-18 के लिये प्रयुक्त होना था।

उसमें से ही कुल प्राप्त होने वाले बारह महीने में से सात महीने पिछले कार्य को करने में ही निबट गये।इसके बाद तो मैडम ने इस कार्य को करने का बीड़ा उठाया और कालबाधन तिथि को तीस जून तक के लिये बढ़वा ही लिया। शासन स्तर पर यह कार्य अपर मुख्य सचिव राज्य कर संजीव मित्तल के सक्रिय भागीदारी के बिना हो ही नही सकता था लेकिन यह जानने के बाद कि यह सर्व जन हिताय कार्य है व्यापारियों को राहत पहुँचाने वाला कार्य है परेशानियों को कम करने वाला है सरकार की उज्ज्वल छवि को निखारने वाला है इसे पूरा कराने की हामी भर दी।

फिर क्या था कमिश्नर द्वारा सुविचारित प्रस्ताव शासन को उपलब्ध कराया गया। जनसमस्याओ को तत्काल निराकरण कराने में बेहद रूचि रखने वाले मुख्यमंत्री को एसीएस सर द्वारा जैसे ही जनोपयोगी इस कार्य के सम्बंध में बताया गया उनके द्वारा स्वीकृति प्रदान कर दी गयी। कालबाधन तिथि बढ़ाये जाने से प्रदेश के अधिकारी रिलैक्स हुये है व्यापारियों ने राहत की साँस ली है। अधिवक्ता संगठन शासन सरकार का गुणगान कर रहे है।

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