सीधे लोग ही गोविंद के प्रिय होते हैं
संसार
में बहुधा यह बात कही और सुनी जाती है कि व्यक्ति को ज्यादा सीधा और सरल
नहीं होना चाहिए। सीधे और सरल व्यक्ति का हर कोई फायदा उठाता है। यह भी
लोकोक्ति कही जाती है कि टेढे वृक्ष को कोई हाथ भी नहीं लगाता सीधा वृक्ष
ही काटा जाता है।
टेढ़े लोगों से दुनिया दूर भागती हैं वहीं सीधो को परेशान किया जाता है।
तो क्या फिर सहजता और सरलता का त्याग कर टेढ़ा हुआ जाए? पर यह बात जरूर समझ
लेना दुनिया में जितना भी सृजन हुआ है वह टेढ़े लोगों से नहीं सीधों से ही
हुआ है। कोई
सीधा पेड़ कटता है तो लकड़ी भी भवन निर्माण में या भवन श्रृंगार में उसी की
ही काम आती है।
मंदिर में भी जिस शिला में से प्रभु का रूप प्रगट होता है
वह टेढ़ी नहीं कोई सीधी शिला ही होती है। जिस वंशी की मधुर स्वर को सुनकर
हमें आंनद मिलता है वो भी किसी सीधे बांस के पेड़ से ही बनती है। सीधे लोग
ही गोविंद के प्रिय होते हैं।