निकम्मेपन का जश्न मना रही है योगी सरकार - दिलीप पांडेय

 


लखनऊ : प्रदेश सरकार की ओर से बुधवार को निरस्त की गई ग्राम पंचायत अधिकारी - 2018 भर्ती पर आम आदमी पार्टी ने गुरुवार को सरकार के खिलाफ तीखा हमला बोला। प्रदेश कार्यालय पर पत्रकार वार्ता कर दिल्ली विधानसभा में 'आप' के मुख्य सचेतक विधायक दिलीप पांडेय और आप छात्र विंग के प्रदेश अध्यक्ष वंश राज दुबे ने इसे बड़ा घोटाला बताते हुए ग्राम पंचायत अधिकारी सहित अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड की कुल 12 भर्तियां की हाई कोर्ट की निगरानी में जांच कराने और 9 महीने में रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की।

 दिल्ली के विधायक दिलीप पांडेय ने कहा कि यूपी की योगी सरकार लफ्फाजी करने में माहिर है। उसका दावा है कि 4 वर्ष में उसने डेढ़ करोड़ नौकरियां दीं। अगर सरकार के इस आंकड़े पर विश्वास किया जाए तो यह पूरी लफ्फाजी के अलावा और कुछ नहीं है। इसका मतलब कि बच्चा अभी पैदा ही नहीं हुआ और सरकार ने उसको नौकरी दे दी। दिलीप पांडेय ने कहा कि सरकार  कभी कहती है कि हमने एक दिन में 82000 सरकारी नौकरियां दीं, तो कभी कुछ कभी कुछ। यह निकम्मी सरकार अपने निकम्मेपन का जश्न मना रही है। 

आप छात्र विंग के प्रदेश अध्यक्ष वंशराज दुबे ने कहा कि 2017 में चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने हर साल 13 लाख नौकरियों का वादा किया था। 5 साल में कुल उसने 70 लाख नौकरियां देने की बात कही थी। बीच में मुख्यमंत्री योगी का बेतुका बयान आया कि उत्तर प्रदेश में नौकरियां तो बहुत हैं, लेकिन लायक नौजवान ही नहीं हैं। इस तरह उन्होंने उत्तर प्रदेश के नौजवानों की क्षमता पर ही प्रश्न उठा दिया। उनका अपमान किया। 2018 में यूपीएसएसएससी द्वारा निकाली गई ग्राम विकास अधिकारी पद के लिए भर्तियों में कुल 14 लाख नौजवानों ने आवेदन किया। अगर एक नौजवान ने परीक्षा फॉर्म भरने से लेकर इम्तेहान देने तक ₹2000 तक भी खर्च किए हों तो उत्तर प्रदेश के नौजवानों ने योगी सरकार को केवल इस भर्ती में कुल 280 करोड रुपये दे दिए। वंशराज दुबे ने कहा कि लेकिन जब नौजवानों को लगा, परिवार को लगा कि अब उनके अरमान पूरे होने वाले हैं तो उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने यह परीक्षा ही निरस्त करके उनके अरमानों का कत्ल कर दिया। 

12 मार्च, 2020 को 1553 सफल हुए अभ्यर्थियों का सत्यापन शुरू हो गया था, लेकिन कोरोना के कारण रोक दिया गया। इसी बीच जून, 2020 में वेबसाइट के माध्यम से अभ्यर्थियों को बताया गया कि इस भर्ती की मार्च से एसआईटी जांच चल रही है। जांच दिसंबर 2020 में पूरी हुई। एसआईटी जांच में क्या हुआ क्या नहीं, किसी को पता नहीं। अब अचानक बुधवार को सरकार ने तुगलकी फरमान जारी करते हुए परीक्षा को ही निरस्त कर दिया और नौजवानों के अरमानों पर छुरा चला दिया। 

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