हमारे मन की सफाई का त्यौहार है "होली"


होली हमारे मन की सफाई का त्यौहार है। भक्तराज प्रहलाद की पावन कथा का स्मरण कराता यह पर्व आज राधा कृष्ण के दिव्य प्रेम और सम्पूर्ण जगत के लिए उमंग उल्लास को प्रदान कराने वाला पर्व भी है।

होलिका दहन- अचेतन मन में ना जाने कितनी इच्छाएं, कितने प्रदूषित विचार कितनी ईर्ष्याऐं, अंदर ही अंदर चेतना को बोझिल और प्रदूषित एवं परेशान करती रहती हैं। होली का यह उत्सव आज हमें वह अवसर उपलब्ध कराता है, जब हम अपने अन्दर जमा इस कूड़े-कचरे को बाहर निकालकर अपनी चेतना को हल्का और निर्मल बनायें।

इस पावन पर्व पर बाहर और भीतर दोनों जगह स्वच्छ और पवित्र रहने के संकल्प लें। प्रेम बांटे, खुशियाँ बाँटें और मुस्कुराकर जोर से कह दें, होली है।

Popular posts from this blog

स्वस्थ जीवन मंत्र : चैते गुड़ बैसाखे तेल, जेठ में पंथ आषाढ़ में बेल

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

!!कर्षति आकर्षति इति कृष्णः!! कृष्ण को समझना है तो जरूर पढ़ें