एक अद्वितीय सी अनुभूति होती है जब कभी हम परमात्मा की भक्ति में भावविभोर हो जाते हैं
महाराज जी भक्तों को उपदेश दे रहे हैं कि जब
किसी देवी -देवता से ( सच्चा ) प्रेम होगा तो नेत्रों में आँसू आ जावेगा,
रोम-रोम पुलकावली (रोमांचित) होने लगेगी, कंठ गद-गद हो जावेगा। यह मन लगने
की पहली सीढ़ी पर पैर रखना है। जैसा
की हममें से बहुत से लोगों के साथ संभवतः हुआ होगा।
एक अद्वितीय सी
अनुभूति होती है जब कभी -कभी हम परमात्मा की भक्ति में, प्रेम में इतने
भावविभोर हो जाते हैं कि हमारे आँखों में आंसू अपने -आप बहने लगते हैं- फिर
चाहे भगवान की कोई मूर्ति/ चित्र हमारे सामने हो या आज के समय में कोई
वीडियो इत्यादि हो -हमारे आराध्य के रूप में …. महाराज जी कहते हैं की ऐसा
होने पर हम उस सर्वशक्तिशाली परम आत्मा की भक्ति में, उसके प्रेम में मन
लगाने की पहली सीढ़ी पर पैर रखते हैं और ये अनुभूति किसी को दिखाने के लिए नहीं है, बताने की भी आवश्यकता नहीं है - ये तो बस भक्त तो उसके इष्ट के बीच की बात है।
महाराज
जी की कृपा और आशीर्वाद से उनके सच्चे भक्त ऐसे ही अपने इष्ट की भक्ति में
बह सकते हैं और जिन्हें ऐसा अनुभव नहीं हुआ पर तीव्र इच्छा है तो उन्हें
अपने इष्ट और महाराज जी की सच्ची भक्ति के साथ -साथ, महाराज जी के उपदेशों
पर ईमानदारी से चलने की कोशिश करनी होगी - धैर्य के साथ महाराज जी के कृपा
हुई तो उनकी इच्छा पूरी होगी।
महाराज जी के कृपा सब भक्तों पर बनी रहे।