घर की शोभा सन्त सेवा से होती है

 
घर की शोभा सन्त सेवा से होती है जिस घर में सभी का सम्मान होता है, जिस घर में श्रीकृष्ण कीर्तन होता है, वह घर प्रभु का धाम है। सर्प भी घर बनाता है परंतु जिस में सन्तों की चरण रज न पड़े, जिस घर मे सबका सम्मान न हो, जिस घर मे कीर्तन सत्संग न हो वह घर, घर नहीं है।
 
जिस घर में सन्त पधारते हैं उस घर में सब प्रकार की सम्पत्तियाँ आती हैं जिस घर में बिना आमंत्रण के कोई भजनानंदी वैष्णव साधु संत आवें, वह घर बैकुंठ जैसा है प्रयास यही करना चाहिए कि घर मे कुछ भी उत्सव हो तो सन्त चरण अवश्य पड़े।

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