डॉ. हर्षवर्धन ने सीएसआईआर-एएमपीआरआई बैम्बू कम्पोजिट स्ट्रक्चर की आधारशिला रखी


केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकीपृथ्वी विज्ञान तथा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि पीने के सुरक्षित पानी की आवश्यकता सभी लोगों के लिए है और एडवांस्ड मेटेरियल एंड प्रोसेसेज रिसर्च इंस्टीट्यूट (एएमपीआरआई) इस दिशा में कार्य कर रहा है और इसने आर्सेनिक और फ्लोराइड की समस्या का समाधान किया है।

उन्होंने 13 मार्च2021 को भोपाल स्थित सीएसआईआर घटक प्रयोगशाला एएमपीआरआई की अपनी यात्रा के दौरान एडवांस्ड रेडिएशन शील्डिंग एवं जिओपोलिमेरिक सामग्री केन्द्र और एक एनालिटिकल हाई रेजुलेशन ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप प्रयोगशाला का उद्घाटन किया। डॉ. हर्षवर्धन ने सीएसआईआर-एएमपीआरआई की सराहना करते हुए कहा कि संस्थान सफलतापूर्वक वेस्ट टू वेल्थ’ की कार्यनीति अपना रहा है, क्योंकि संस्थान ने औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थों को कच्चे माल के रूप में उपयोग करते हुए रेडिएशन शील्डिंग सामग्री विकसित की है। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि एक्स-रे डायग्नोस्टिक और सीटी स्कैनर रूम के निर्माण के लिए सीसा रहित तथा उच्च प्रभावी शील्डिंग सामग्री के निर्माण के लिए उपयोगी एक नई प्रक्रिया का विकास किया गया है, जिसमें रेड मड तथा फ्लाई ऐश जैसे औद्योगिक कचरे का उपयोग किया गया है।

डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि संस्थान एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग जैसी उन्नत प्रौद्योगिकी के अत्याधुनिक क्षेत्र में काम कर रहा है और कहा कि वैज्ञानिक बायोमैटेरियल्सग्राफीनस्मार्ट मेटेरियलहल्के वजन के मेटेरियलनैनो मेटेरियल के क्षेत्रों में काम करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोविड के दौरान संस्थान ने सेनेटाइज़रफेस मास्कडिसइनफेक्टेंट फॉक्स के लिए तकनीक का विकास किया है। उनके मास्क अमेजन पर उपलब्ध हैं। मंत्री ने कहा कि संस्थान ने सार्स-कोव संक्रमण का पता लगाने के लिए रेपिड इलेक्ट्रोकेमिकल आधारित डायग्नोस्टिक के विकास के क्षेत्र में भोपाल के एम्स के सहयोग से अनुसंधान आरम्भ कर अग्रणी भूमिका निभाई है।

सीएसआईआर-एएमपीआरआई ने कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट कचरे अर्थात् फ्लाई-ऐश का उपयोग करते हुए विभिन्न जियोपोलिमेरिक मेटेरियल्स का भी विकास किया और जियोपोलिमेरिक मेटेरियल्स पर तीन अमेरिकी पेटेंट भी मंजूर किए गए हैं। निरंतर विकास करते हुए 455.52 वर्ग मीटर के कुल क्षेत्र तथा 906.24 वर्ग मीटर के कारपेट एरिया के साथ एडवांस्ड रेडिएशन शील्डिंग एंड जियोपोलिमेरिक मेटेरियल्स के लिए एक अनूठे केंद्र की स्थापना की जा रही है। डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि जियोपोलिमेरिक मेटेरियल्स में प्रगति करने से मिसाइल/रॉकेट लांचिंग पैड का विकास तथा बंकरों के लिए जियोपोलिमेरिक बुलेट प्रूफ कंक्रीट का विकासग्राफीन-प्रेरित जियोपोलिमेरिक कंक्रीट तथा जियोपोलिमेरिक रेडिएशन शील्डिंग कंक्रीट का विकास जैसे स्ट्रैटजिक एप्लीकेशनों में तेजी आएगी।

उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त, इसमें रोड एप्लीकेशनों तथा स्ट्रक्चरल एप्लीकेशनों के लिए रेडी मिक्स जियोपोलिमेरिक कंक्रीट का विकास और संवर्धन; रॉलर-कॉम्पेक्टेड जियोपोलिमेरिक कंक्रीट का विकास और प्री-स्ट्रेस्ड जियोपॉलिमेरिक कंक्रीट कम्पोनेंट्स जैसे उन्नत पारम्परिक एप्लीकेशंस भी होंगे। डॉ. हर्षवर्धन ने उम्मीद जताई कि केंद्र रेडिएशन शील्डिंग के मेकेनिज़्म को समझने तथा विकसित सामग्रियों के इंजीनियरिंग गुणों में सुधार के लिए ज्ञान में वृद्धि करेगा। यह इस क्षेत्र में प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देगा तथा भारतीय उद्योग को प्रौद्योगिकीय सहायता उपलब्ध कराएगा। डॉ. हर्षवर्धन ने वेस्ट टू वेल्थ थीम को दोहराते हुए फ्लाई ऐश कम्पेंडियम का भी अनावरण किया।

सीएसआईआर-एएमपीआरआई में डॉ. हर्षवर्धन ने एक अन्य प्रमुख फैसलिटी एनालिटिकल हाई रेजुलेशन ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप प्रयोगशाला का भी उद्घाटन किया। इस प्रयोगशाला में आयन मिलिंग सिस्टम, अल्ट्रासोनिक डिस्क कटरडिंपल ग्राइंडरडिस्क पंचलैपिंग डिस्क तथा डायमंड सॉ जैसे टीईएम सेम्पल प्रीपरेशन उपकरण के साथ-साथ हाई-ऐंगल एनुलर डार्क फील्ड डिटेक्टर (एचएएडीएफ) और एनर्जी डिस्पर्सिव स्पेक्ट्रोमीटर (ईडीएसके साथ स्कैनिंग ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (एसटीईएम) भी हैं। यह प्रणाली माइक्रो डिफ्रैक्शन, रॉकिंग बीम चैनेलिंग पैटर्न्स, क्वालिटेटिव एवं क्वांटिटेटिव एक्सरे एस्पेक्ट्रोस्कोपी एनालिसिस, पार्टिकल साइज एनालिसिस, डिस्लोकेशन डेनसिटी एवं मूवमेंट, प्रेसिपिटेशन, न्यूक्लिएशन तथा ग्रोथ जैसे सूक्ष्म विश्लेषण करने में भी सक्षम हैं।

      सीएसआईआर-एएमपीआरआई के निदेशक डॉ. अवनीश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि सीएसआईआर-एएमपीआरआई के ये उन्नत उपकरण सीएसआईआर-एएमपीआरआई में विकसित उन्नत सामग्रियों के आकृतिकसंरचनात्मक और संघटनात्मक विश्लेषण पर प्रकाश डाल सकते हैं। यह सुविधा न केवल सीएसआईआर-एएमपीआरआई के अनुसंधान बल्कि मध्य प्रदेश के पड़ोसी संस्थानों को उन्नत सामग्रियों पर नवीन शोध करने और तकनीकी ज्ञान/प्रौद्योगिकियों पर नवोन्मेषी अनुसंधान कराने की गुणवत्ता भी बढ़ाएगी। डॉ. श्रीवास्तव ने यह भी रेखांकित किया कि संस्थान एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग जैसी उन्नत तकनीकों के अत्याधुनिक क्षेत्रों में काम कर रहा है और बताया कि वैज्ञानिक बायोमेटेरियल्सग्राफीनस्मार्ट मेटेरियलहल्के वजन के मेटेरियल और नैनो मेटेरियल के क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।

डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि यह भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित बांस की खेती करने वालों के लिए लाभदायक होगा तथा रोजगार सृजन में भी मदद करेगा। उन्होंने पाया कि भारत बांस उगाने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश हैलेकिन उसके पास विश्व व्यापार का केवल 4 प्रतिशत हिस्सा है और बैम्बू वुड टेक्नोलॉजी में इस व्यापार हिस्सेदारी को बढ़ाने की क्षमता है।

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