भोजन सादा -सतोगुणी (सात्विक) करना चाहिए

 


भोजन सादा -सतोगुणी (सात्विक) करना चाहिए।

रजोगुणी-तमोगुणी भोजन से भजन नहीं हो सकता। तमोगुणी भोजन से क्रोध बढ़ता है। रजोगुणी काम- वासना पैदा करता है। यह भोजन नरक को ले जाता है। ईश्वर-प्रेमी, साधक इनको त्याग दें तभी पार हो सकता है।

रजोगुणी : चटपटा खाना, लहसुन, प्याज, मिरची। तमोगुणी: मुख्य रूप से मांस व मछली ।

भक्ति में मन लगाने के प्रयासों की श्रंखला में महाराज जी का एक और महत्वपूर्ण उपदेश। 

सच्चे साधक के लिए तो महाराज जी ने स्पष्ट कहा है की रजोगुणी और तमोगुणी भोजन का त्याग आवश्यक है। और इसके कारण भी यहाँ पर उन्होंने बिलकुल साफ समझाया है …. जिसका लाभ सभी भक्त उठा सकते हैं जो भक्ति के माध्यम से ईश्वर को अपने समीप पाने के उत्सुक हैं।  

वैसे ऐसे भोजन का त्याग करना विशेषकर रजोगुणी, सामान्य लोगों के लिए संभवतः सरल नहीं होगा। इसलिए भक्ति में मन लगाने के लिए सामान्य लोगों को संभवतः दृढ संकल्प और अधिक प्रयत्न की आवश्यकता होगी। 

और इस सन्दर्भ कुछ अच्छा -बुरा नहीं है। महाराज जी ने हमारा मार्गदर्शन किया है  -अब जिसकी जैसी इच्छाशक्ति हो, जैसा सामर्थ हो- वो वैसा करे। इसमें किसी भी प्रकार की तुलना गलत ही नहीं निरर्थक भी है। इसलिए महाराज जी भक्तों को इससे बचना चाहिए।

महाराज जी की कृपा सब भक्तों पर बनी रहे।

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