क्या है पल्स ऑक्सीमीटर और कैसे काम करता है?

पल्स ऑक्सीमीटर एक ऐसा छोटा डिवाइस है, जो शरीर में ऑक्सीजन का सैचुरेशन लेवल को मापने में हमारी मदद करता है। स्वास्थ्य विभाग होम आइसोलेशन में भर्ती मरीजों का समय-समय पर ऑक्सीजन लेवल पूछता है, जिससे ऑक्सीजन कम होने पर समय से अस्पताल पहुंचाया जा सके। यही वजह है कि आज पल्स ऑक्सीमीटर की मांग बढ़ गई है। 

इससे ये पता चलता है कि लाल रक्त कणिकाएं(RBCs) कितना ऑक्सीजन यहां से वहां ले जा रही हैं। इसे पीपीओ यानी पोर्टेबल पल्स ऑक्सीमीटर भी कहा जाता है। इस डिवाइस के जरिए डॉक्टर, नर्स या किसी भी स्वास्थ्य पेशेवर को यह पता करने में मदद करती है कि किसी व्यक्ति को अतिरिक्त ऑक्सीजन की आवश्यकता है या नहीं।

पल्स ऑक्सीमीटर ऑन करने पर अंदर की ओर एक लाइट जलती हुई दिखाई देती है। यह आपकी त्वचा पर लाइट छोड़ता है और ब्लड सेल्स के रंग और उनके मूवमेंट को डिटेक्ट करता है। आपके जिन ब्लड सेल्स में ऑक्सीजन ठीक मात्रा में होती है वे चमकदार लाल दिखाई देती हैं, जबकि बाकी हिस्सा गहरा लाल दिखता है। बढ़िया ऑक्सीजन मात्रा वाले ब्लड सेल्स और अन्य ब्लड सेल्स यानी कि चमकदार लाल और गहरे लाल ब्लड सेल्स के अनुपात के आधार पर ही ऑक्सीमीटर डिवाइस ऑक्सीजन सैचुरेशन को फीसदी में कैलकुलेट करती है और डिस्प्ले में रीडिंग बता देती है।

अगर डिवाइस 96 फीसदी की रीडिंग दे रही है तो इसका मतलब है कि महज चार प्रतिशत खून कोशिकाओं में ऑक्सीजन नहीं है। इस डिवाइस के जरिए मरीज की ब्लड लेने की जरूरत भी नहीं पड़ती है। इस्तेमाल से पहले ये जानना भी जरूरी है कि खून में ऑक्सीजन का सही स्तर कितना होता है या होना चाहिए। कोरोना संक्रमित लेकिन इसके अलावा स्वस्थ व्यक्ति के रक्त में ऑक्सीजन का सैचुरेशन लेवल 95 से 100 फीसदी के बीच होता है।

95 फीसदी से कम ऑक्सीजन लेवल इस बात का संकेत है कि उसके फेफड़ों में परेशानी हो रही है। वहीं, ऑक्सीजन का लेवल अगर 94 प्रतिशत से नीचे जाने लगे तो सचेत हो जाना चाहिए और अगर ये स्तर 93 या इससे नीचे हो जाए तो मरीज को फौरन अस्पताल ले जाना चाहिए क्योंकि ये संकेत है कि उसके शरीर की आठ फीसदी तक कोशिकाएं ऑक्सीजन का प्रवाह नहीं कर पा रही हैं।

ख्याल रखना चाहिए कि जिस उंगली से रीडिंग ले रहे हैं, उसके नाखून पर कोई रंग न लगा हो, हाथ ठंडे न हों और नाखून लंबे न हों तथा मरीज का ब्लड सर्कुलेशन खराब न हो। इसकी कीमत बहुत ज्यादा नहीं होती। यह 400 रुपये से लेकर 4000 रुपये तक के रेंज में उपलब्ध है। अगर कुछ समय के लिए आपके खून में इसका स्तर कम होता है तो वो इतना चिंता का विषय नहीं है, लेकिन लंबे समय के लिए ऐसा रहना हानिकारक हो सकता है।

होम आइसोलेशन में रहने वाले कोरोना पॉजिटिव मरीजों को दिन में कम से कम 3-4 बार अपना ऑक्सीजन लेवल पल्स ऑक्सीमीटर की मदद से चेक करना चाहिए। यह डिवाइस आपके हर्ट रेट को भी दिखाता है। वयस्कों में सामान्य हर्ट रेट लगभग 60 से 100 बीट प्रति मिनट तक होती है, हालांकि उच्च हृदय फिटनेस वाले एथलीटों में कम पल्स होगा। चूंकि यह क्लिप नुमा होता है, इसके प्रयोग के लिए इसे हाथ की मध्यमा अथवा तर्जनी उंगली में लगाना चाहिए। प्रायः लोग इसे तर्जनी में लगाते हैं।


निखिलेश मिश्रा

Popular posts from this blog

स्वस्थ जीवन मंत्र : चैते गुड़ बैसाखे तेल, जेठ में पंथ आषाढ़ में बेल

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

!!कर्षति आकर्षति इति कृष्णः!! कृष्ण को समझना है तो जरूर पढ़ें