कठिनतम और जटिलतम परिस्थितियों में भी धैर्य बना रहे इसी का नाम सज्जनता है



कठिनतम और जटिलतम परिस्थितियों में भी धैर्य बना रहे इसी का नाम सज्जनता है केवल फूल माला पहनने पर अभिवादन कर देना ही सज्जनों का का लक्षण नहीं यह तो कोई साधारण से साधारण मनुष्य भी कर सकता है मगर काँटों का ताज पहनने के बाद भी चेहरे पर सहजता का भाव बना रहे, बस यही सज्जनता व महानता का लक्षण है। 

भृगु जी ने लात मारी और पदाघात होने के बाद भी भगवान विष्णु जी ने उनसे क्षमा माँगी इस कहानी का मतलब यह नहीं कि सज्जनों को लात से मारो अपितु यह है कि सज्जन वही है जो दूसरों के त्रास को भी विनम्रता पूर्वक झेल जाए। 

सज्जन का मतलब सम्मानित व्यक्ति नहीं अपितु सम्मान की इच्छा से रहित व्यक्तित्व है जो सदैव शीलता और प्रेम रुपी आभूषणों से सुसज्जित है वही सज्जन है जो हर परिस्थिति में प्रसन्न रहे और दूसरों को भी प्रसन्न रखे, वही सज्जन है।

Popular posts from this blog

स्वस्थ जीवन मंत्र : चैते गुड़ बैसाखे तेल, जेठ में पंथ आषाढ़ में बेल

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

!!कर्षति आकर्षति इति कृष्णः!! कृष्ण को समझना है तो जरूर पढ़ें