निराश्रित बालिका के शादी योग्य होने पर राज्य सरकार की तरफ से उन्हें प्रदान किये जाएंगे 01 लाख 01 हजार रु0

गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज जनपद गोरखपुर में ‘उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना’ के 05 पात्र बच्चों से संवाद किया और उनका हालचाल लिया। इस अवसर पर उन्होंने बच्चों को उपहार भी वितरित किये। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना से निराश्रित हुए बच्चों के भरण-पोषण, शिक्षा और सुरक्षा के लिए राज्य सरकार द्वारा संचालित ‘उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना’ के तहत अभी तक जनपद गोरखपुर के 174 बच्चों को चिन्हित किया गया है, जिन्होंने अपने अभिभावकों को खोया है।

उन्होंने बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि बच्चों को राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाया जाए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सभी निराश्रित बच्चों के प्रति प्रदेश सरकार की तरफ से संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होने दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने जेल रोड स्थित एशियन आश्रय गृह पहुंचकर वहां रह रहे 1 वर्ष से 10 वर्ष के अनाथ बच्चों से भेंट की और उनको फल एवं कपडे़ प्रदान किये। इस अवसर पर बच्चों ने उनको गायत्री मंत्र भी सुनाया। मुख्यमंत्री ने प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के कारण देश व दुनिया त्रस्त रही है। कई राज्यों व देशों में व्यापक क्षति हुई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कोरोना काल खण्ड में जीवन व आजीविका बचाने का जो संघर्ष हुआ, उसके अपेक्षित व सकारात्मक परिणाम आए हैं।

हमें यह ध्यान रखना होगा कि कोरोना कमजोर जरूर हुआ है, पर समाप्त नहीं हुआ है। इसके खिलाफ लड़ाई में सावधानी व जागरुकता सबसे बड़ा हथियार है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बीमारी में लापरवाही खतरनाक हो सकती है, इसलिए हमें सतर्क रहना होगा। सावधानी व बचाव बहुत आवश्यक है। ‘दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी’ के मंत्र का पालन करते रहना होगा। कोरोना बीते 100 वर्षों की सबसे भीषण महामारी है। सामूहिक प्रयासों से ही इस महामारी पर विजय प्राप्त की जा सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण ही रक्षा कवच है। देश मे दो वैक्सीन पहले से है, अगले माह तक कुछ और वैक्सीन उपलब्ध होंगी। ‘ट्रेस, टेस्ट एण्ड ट्रीट’ के अभियान से सबको जुड़ना होगा। इसके तहत हमारी निगरानी समितियां घर-घर जा रही हैं। उन्होंने अपील की कि लोग टेस्ट से हिचकिचाएं नहीं और अपनी बारी आने पर टीका अवश्य लगवाएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना से लड़ाई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में देश में ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ व ‘आत्मनिर्भर भारत’ पैकेज जैसे राहत कार्य संचालित किये जा रहे हैं। यह पूरे देश में जनकल्याण का उदाहरण हंै। प्रदेश में ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ के माध्यम से लगभग 15 करोड़ लोगों को प्रतिमाह निःशुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कोरोना त्रासदी में निराश्रित हुए बच्चों के लिए शुरू की गई ‘उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना’ की भी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिन बच्चों ने कोरोना के चलते अपने माता-पिता या घर के कमाऊ सदस्य को खोया है, उनके पालन-पोषण व पढ़ाई-लिखाई की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार उठाएगी।इन बच्चों के लिए केन्द्र व राज्य सरकार ने कई प्राविधान किए हैं। 
 
प्रभावित बच्चों की परवरिश के लिए ‘उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना’ के अन्तर्गत लीगल गार्जियन को बच्चे की उम्र 18 वर्ष होने तक प्रति माह 4,000 रुपये देने की व्यवस्था की गई है। साथ ही, इन बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए बाल संरक्षण गृहों, कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालयों व अटल आवासीय विद्यालयों के जरिये व्यापक कार्य योजना बनाई जा रही है। 18 वर्ष से अधिक आयु के बच्चे जो उच्च शिक्षा, तकनीकी व प्राविधिक शिक्षा के साथ जुड़े हैं, उनकी निःशुल्क शिक्षा के साथ ही उन्हें टैबलेट देने की व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा की जा रही है। इसके साथ ही, निराश्रित बालिका के विवाह योग्य होने पर राज्य सरकार की तरफ से उन्हें 1 लाख 1 हजार रुपये प्रदान किये जाएंगे।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाल संरक्षण गृह में रहने वाले बच्चों के लिए केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा प्रतिमाह 2,000 रुपये दिये जा रहे हैं। भारत सरकार ने कोरोना से अनाथ हुए बच्चों के लिए ‘पी0एम0 केयर्स फाॅर चिल्ड्रेन’ योजना के तहत कोष की व्यवस्था की है। इसके अन्तर्गत बच्चे की 23 वर्ष आयु होने पर 10 लाख रुपये दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना से निराश्रित हुए बच्चों को हर सम्भव सहयोग प्रदान किया जाएगा। इसके लिए पूरे प्रदेश में ‘उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना’ को व्यापक स्तर पर प्रारम्भ किया गया है।

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