राम नाइक थे एक आदर्श राज्यपाल, उनके चिंतन एवं कार्य-व्यवहार में थी मौलिकता
मै राष्ट्रपति के प्रति अपना सम्मान प्रगट कर रहा हूँ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में उनका स्वागत है। एक
लोकतांत्रिक देश में राष्ट्रपति/ राज्यपाल के साथ जिस तरह की
औपचारिकतायें जोड़ी गई है, प्रोटोकाल बनायें गये है, वह राजशाही से भी
ज्यादा वीभत्स है जिसका नमूना राष्ट्रपति के इसी दौरे में कानपुर में
देखने को मिला।
मुश्किल
से 2-2.5 महीने पहले जिस राज्य - उत्तर प्रदेश - में आक्सीजन एवं
चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में भयावह मौते हुई है , लाशों का अंतिम संस्कार
न हो पाया हो , कोविड - 19 के तीसरे दौर के आने की आशंका से नागरिक गण
भयभीत हो। वहां राज्य सरकार को प्रतीकात्मक राजनीति को छोड़कर आधारभूत
संरचना को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिये. चूँकि भारतीय जनता पार्टी का
नेतृत्व सत्ताजीवी है इसलिए इनका एक ही उद्देश्य है- सत्ता . सत्ता बचाना
और पाना ही इनका एकमात्र एजेंडा है इसलिए इनसे राष्ट्र निर्माण की अपेक्षा
रखना ही व्यर्थ है। साल
था 2013 , शायद अक्तूबर का महीना था। दिल्ली में रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार
एवं लेखक आचार्य विष्णु ने फोन पर बातचीत के दौरान मुझे एक मो. नं. नोट
कराया और कहा कि इनसे बात करिये। आचार्य विष्णु ने जिस व्यक्तित्व का
नाम बताया, उनका नाम मैने पहले भी सुना था लेकिन मिला नहीं था।
मैने अगले
दिन उनको फोन किया तो पहली बार में ही फोन उठा और बेहद सहज भाव से फोन पर
उनसे बात होने लगी। मैने उनसे कहा कि जब लखनऊ आइये तब 02 - 03 घंटे का समय
रखिये जिससे विस्तृत बातचीत हो। इस पर उन्होंने कहा कि बातचीत भी होगी और
आपके (मेरे )घर पर भोजन भी होगा. इस पर मैने हंसते हुए कहा कि - सर - भोजन
का प्रबंध किसी रिश्तेदार के यहां होगा या किसी होटल से पैक होकर आ
जायेगा। इस पर उन्होंने हंसते हुए कहा कि यह बताइये कि लखनऊ में अकेले है
या जीवन में भी तो मैने कहा कि - सर - व्यक्तिगत जीवन में भी अकेले। फिर वे
हंसते हुए बोले कि आरएसएस के संपर्क में कब आ गये थे जिस पर मैने बताया कि
14 साल की आयु में , इस पर उन्होंने कहा कि तब तो यह स्वभाविक है कि आपके
लिए समाज ही परिवार हो। कुल मिलाकर पहली बार में ही उनसे फोन पर राजनीतिक -
सामाजिक विषयों के साथ - साथ व्यक्तिगत जीवन के बारे में भी बात हुई जो आम
तौर पर नहीं करता।
आप अंदाजा लगा सकते है कि आचार्य विष्णु ने जिस
व्यक्ति का मुझे मो.नं. देकर बात करने के लिए कहा था , वे कौन रहे होंगे.
मै यह कह सकता हूँ कि राष्ट्रपति जब केवल भाजपा के वरिष्ठ नेता थे
तब मेरी उनसे बातचीत हुई थी, राजनीतिक - सामाजिक विषयों पर चर्चा हुई
थी।
नैमिष प्रताप सिंह