डीजीपी और डीजी आरपीएफ समेत नौ आईपीएस होंगे रिटायर

  
आज यूपी एसटीएफ (UP Special Task Force) के संस्थापक अधिकारियों में शामिल रहे दो आईपीएस अरुण कुमार और राजेश पांडेय रिटायर हो रहे हैं। आज दोनों की लंबी और शानदार सेवाओं का आखिरी दिन है। भले ही ये लोग पुलिस में काम नहीं करेंगे लेकिन यूपी पुलिस के उम्दा इतिहास का हमेशा हिस्सा रहेंगे और याद किए जाएंगे। यह वो अधिकारी है, जिन्होंने पूर्वांचल के सबसे दुर्दांत माने जाने वाले बदमाश प्रकाश शुक्ला का एनकाउंटर गाजियाबाद में किया था।
 
प्रकाश शुक्ला के खात्मे के लिए ही सरकार ने वर्ष 1998 में एसटीएफ का गठन किया था। बाद में एसटीएफ ने यूपी के माफियाओं, रेलवे, पीडब्ल्यूएडी और अन्य विभागों के ठेकेदारों में चल रहे गैंगवार में शामिल बदमाशों को एक-एक करके खत्म किया। इन अफसरों ने यूपी से माफियाराज खत्म करके यूपी एसटीएफ को हर दिन नई उंचाईयों पर पहुंचाया। मूल रूप से बिहार निवासी यूपी कैडर के आईपीएस अरुण कुमार इन दिनों प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में रेलवे सुरक्षा बल के डीजी हैं। वहीं, राजेश पांडेय डीजीपी मुख्यालय में आईजी हैं। वह आज इसी पद से रिटायर हो रहे हैं। यूपी एसटीएफ के यह दोनों आखिरी संस्थापक अधिकारी हैं। दोनों ने पुलिस सेवा का स्वर्णिम काल देखा है। तेज तर्राज चुनिंदा अधिकारियों में शुमार होने का गौरव हासिल किया है।

अरुण कुमार लंबे अरसे तक सीबीआई में तैनात रहे। इस दौरान वह नोएडा में हुए आरुषि कांड और निठारी कांड में जांच अधिकारी रहे। गोरखपुर के कुख्यात बदमाश प्रकाश शुक्ल ने 1996 से अपराधिक दुनिया में आतंक मचाना शुरू किया। उसकी दहशत के आगे बाहुबली हरिशंकर तिवारी, प्रतापगढ़ के बाहुबली नेताओं से लेकर यूपी-बिहार के माफिया तक नतमस्तक थे। उसके बढ़ते वर्चस्व और भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के बाद सरकार ने उसके सफाए का आदेश दे दिया। प्रकाश शुक्ला ने प्रदेश के एक शीर्ष नेता की हत्या करने की साजिश रच दी थी। इसके बाद सत्ता के गलियारों में खबर फैली कि प्रकाश शुक्ल मुख्यमंत्री की हत्या करने की साजिश रच रहा है। जिसके बाद में हड़कम्प मच गया। शुक्ल के खात्मे के लिए स्पेशल टास्क फोर्स का मई 1998 में गठन किया गया। उसका मुखिया यूपी कैडर के आईपीएस अजयराज शर्मा को बनाया गया। वही अजयराज शर्मा जो बाद में दिल्ली के पुलिस कमिश्नर बने थे।

अजयराज शर्मा के साथ आईपीएस अरुण कुमार, पीपीएस कैडर के राजेश पांडे, सत्येन्द्रवीर सिंह के अलावा सब इंस्पेक्टर श्यामाकांत त्रिपाठी और अविनाश मिश्र को शामिल किया गया। जिनकी मेहनत रंग लाई और गाजियाबाद के इंदिरापुरम इलाके में प्रकाश शुक्ल को उसके तीन साथियों के साथ ढेर कर दिया गया। इसके बाद एसटीएफ को बंद कुछ अधिकारियों ने रखा कि एसटीएफ का काम खत्म हो गया, लिहाजा इसे बन्द कर दिया जाए लेकिन इसी बीच लखनऊ और पूर्वांचल में ठेकों को लेकर चल रहे गैंगवार ने सरकार के सिर में दर्द कर दिया था। इस समस्या को खत्म करने के लिए यूपी एसटीएफ इसे जारी रखने का निर्णय लिया गया। एसटीएफ के इन फाउंडर सदस्यों में अजयराज शर्मा दिल्ली पुलिस कमिश्नर बन कर कई साल पहले रिटायर हो चुके हैं। सतेन्द्रवीर सिंह अलीगढ़ और जिलों के एसएसपी व एसपी रहकर रिटायर हुए हैं। श्यामाकांत त्रिपाठी नोएडा में इंस्पेक्टर रहे। उन्होंने पदोन्नति के बाद सीओ बनकर लखनऊ में कई सर्किल में काम किया और रिटायर हो चुके हैं। 
 
अविनाश मिश्रा भी रिटायर हो चुके हैं। बाकी फाउंडर सदस्यों में अब अरुण कुमार और राजेश पांडेय ही रह गए थे जो आज रिटायर हो रहे हैं। बुधवार को यूपी कैडर के नौ आईपीएस अधिकारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इनमें प्रदेश के डीजीपी हितेश चन्द्र अवस्थी समेत डीजी स्तर के दो, आईजी स्तर के दो, डीआईजी स्तर के तीन और एसपी स्तर के दो अधिकारी शामिल हैं। सूबे के पुलिस महानिदेशक हितेश चन्द्र अवस्थी 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। डीजीपी अवस्थी के अलावा केंद्रीय केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रेलवे सुरक्षा बल के डीजी अरुण कुमार सेवानिवृत्त होंगे। इनके अलावा प्रांतीय पुलिस सेवा से प्रोन्नत होकर आईपीएस बने अफसर रिटायर होंगे। इनमें आईजी इंटेलीजेंस जेके शुक्ला, आईजी पुलिस मुख्यालय राजेश पांडेय, निलंबित चल रहे डीआईजी दिनेश चंद्र दुबे, डीआईजी पीटीसी सीतापुर दिलीप कुमार, डीआईजी यूपी पावर कॉरपोरेशन साधना गोस्वामी, एसपी विजिलेंस वीरेंद्र कुमार मिश्र और यूपी-112 के एसपी माधव प्रसाद वर्मा शामिल हैं। पीपीएस संवर्ग के 12 अफसर भी आज रिटायर हो रहे हैं।

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