मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की बैठक आयोजित
लखनऊ। मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय
कृषि विकास योजना (आर0के0वी0वाई0) की राज्य स्तरीय स्वीकृति समिति
(एस0एल0एस0सी0) की बैठक आयोजित की गई। बैठक
में बताया गया कि वर्ष 2017-18 से 2020-21 तक संचालित परियोजनाओं के
स्वतन्त्र थर्ड पार्टी मूल्यांकन हेतु ई-टेण्डर निविदा की कार्यवाही
कोविड-19 एवं प्रक्रियात्मक विलम्ब के कारण से सम्पन्न नहीं करायी जा सकी
है। विलम्ब के दृष्टिगत राज्य नियोजन संस्थान मूल्यांकन प्रभाग, उत्तर
प्रदेश लखनऊ को वर्ष 2017-18 से 2020-21 तक संचालित परियोजनाओं के थर्ड
पार्टी मूल्यांकन कराने हेतु प्रस्ताव प्रेषित किया गया है।
वर्ष
2014-15 से 2017-18 तक के धनराशि रु0 505.68 लाख के सापेक्ष रु0 467.88
लाख एवं वर्ष 2018-19 के धनराशि रु0 4020.41 लाख के विरूद्ध रु0 2442.95
लाख के उपयोगिता प्रमाण-पत्र प्राप्त हुए हैं। वर्तमान में वर्ष 2018-19 तक
के रू0 1530.14 लाख एवं वर्ष 2019-20 में व्यय की गयी धनराशि के सापेक्ष
भी रू0 2726.89 लाख के उपयोगिता प्रमाण-पत्र भी लम्बित हैं। इस पर मुख्य
सचिव ने सम्बन्धित विभागों को शीघ्र उपयोगिता प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराने के
निर्देश देते हुये कहा कि जिन विभागों/संस्थाओं द्वारा निर्धारित समय में
उपयोगिता प्रमाण-पत्र उपलब्ध नहीं कराये जायेंगे, भविष्य में उनके परियोजना
का वित्त पोषण नहीं किया जायेगा। बैठक
में बताया गया कि वर्ष 2020-21 में उद्यान विभाग की मांग के अनुसार धनराशि
रू0 3354.37 लाख की धनराशि निर्गत की गयी। उद्यान विभाग द्वारा
परियोजनान्तर्गत रू0 3184.46 लाख का व्यय कराया गया है।
प्लान्टिंग
मैटेरियल यथा उन्नत बीज एवं पौध आदि प्रदेश के बाहर से क्रय किये जाते हैं,
उनका प्रदेश स्तर पर अधिक से अधिक उत्पादन कराकर उपलब्धता सुनिश्चित कराने
हेतु उद्यान विभाग द्वारा कार्यवाही सुनिश्चित करायी जा रही है। इसके
अतिरिक्त वर्ष 2020-21 में उद्यान विभाग द्वारा धनराशि रू0 1991.38 लाख
कार्यदायी संस्था को हस्तान्तरित करते हुए कार्य कराये जा रहे हैं।
परियोजना की अवशेष धनराशि रू0 3050.86 लाख की स्वीकृति प्रक्रियान्तर्गत
है। मुख्य सचिव ने कहा कि औद्यानिक पौधशालाओ के सुदृढ़ीकरण के पश्चात्
एन0एच0बी0 से मानकीकरण कराने के सम्बन्ध में उद्यान विभाग द्वारा आवश्यक
कार्यवाही तेजी से पूर्ण करायी जाये। रेशम
विभाग की मांग के अनुसार वर्ष 2020-21 में धनराशि रू0 811.59 लाख निर्गत
की गयी, जिसके सापेक्ष रेशम विभाग द्वारा धनराशि रू0 809.54 लाख का व्यय
कराया गया है। परियोजना के संतृप्तीकरण हेतु रू0 39.75 लाख की मांग की गयी
है, जिसके मात्राकरण हेतु प्रस्ताव समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।
वर्ष
2020-21 में मत्स्य विभाग की मांग के अनुसार रू0 918.00 लाख की धनराशि
निर्गत की गयी, जिसके सापेक्ष रू0 369.74 लाख का व्यय कराया गया है। वर्ष
2021-22 में मत्स्य विभाग की मांग के अनुसार रू0 1414.58 लाख की वित्तीय
स्वीकृति प्रक्रियान्तर्गत है। समिति के निर्देशानुसार विगत वर्षो में
मत्स्य पालकों के यहाॅ विकसित कराये गये तालाबों का अध्ययन कराकर अध्ययन
प्रतिवेदन मत्स्य विभाग के स्तर से अपेक्षित है। सहकारिता
विभाग की मांग के क्रम में रू0 2121.50 लाख की धनराशि निर्गत की गयी।
सहकारिता विभाग द्वारा निर्माण कार्यो हेतु नामित कार्यदायी संस्थाओं यथा
पैकफेड एवं लैकफेड को हस्तान्तरित करते हुए कार्य कराये जा रहे हैं। वर्ष
2021-22 के लिए परियोजना की अवशेष धनराशि रू0 197.00 लाख के मात्राकरण
प्रस्ताव समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। निर्मित 25 गोदामों का
डब्लू0डी0आर0ए0 से मानकीकरण कराते हुए कृषकों के कृषि उत्पादों का भण्डारण सुनिश्चित कराने के सम्बन्ध में कार्यवाही अपेक्षित है।
आर0के0वी0वाई0
के तहत समस्त विभागों/संस्थाओं द्वारा संचालित परियोजनाओं के अन्तर्गत रू0
1000.00 तक लागत की सृजित परिसम्पत्तियों एवं अवस्थापनाओं की जियो-टैगिंग
भारत सरकार के निर्देशानुसार अनिवार्य है। योजनान्तर्गत कृषि, रेशम,
उद्यान, पशुपालन, मत्स्य, बीज विकास निगम, बीज प्रमाणीकरण संस्था, सीमा-रहमानखेड़ा, लघु सिंचाई विभाग एवं कृषि विश्विद्यालयों शोध संस्थाओं के
द्वारा जियो-टैगिंग के कार्य कराये जा रहे हैं। गत एवं वर्तमान वर्ष में
कोविड-19 के कारण से जियो टैगिंग कार्यो की गति धीमी रही है। इस पर मुख्य
सचिव ने सम्बन्धित विभागों को जियो टैगिंग के कार्य में तेजी लाने के
निर्देश दिये।