हमारा आचरण ही संसार में हमारी उपयोगिता का निर्धारण करता है

श्रेष्ठ आचरण उपयोगिता बढ़ा देती है। जीवन एक वृक्ष है, संस्कार इसमें दिया जाने वाला खाद पानी और आचरण ही इसका फल है। जीवन रुपी इस वृक्ष में संस्कार रुपी खाद पानी का जितना सुन्दरतम सिंचन किया जायेगा, आचरण रुपी फल भी उतना ही मधुरतम व श्रेष्ठतम होगा। हरियाली अवश्य किसी वृक्ष का सौंदर्य है, फल उसकी सार्थकता जिस प्रकार फल वृक्ष की उपयोगिता को बढ़ा देते हैं।

ऐसे ही हमारा आचरण संसार में हमारी उपयोगिता का भी निर्धारण करता है। फल जितना सुस्वादु व मधुर होगा, वृक्ष की उपयोगिता उतनी ही अधिक होगी। ठीक ऐसे ही हमारा आचरण भी जितना मधुर अथवा श्रेष्ठ होगा, समाज में हमारी उपयोगिता भी उतनी ही अधिक होगी।

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