बेलगाम सरकार / नौकरशाही / पुलिस और पथभ्रष्ट विपक्ष के खिलाफ जन विद्रोह के अलावा कोई विकल्प नहीं



उत्तर प्रदेश के चारों राजनीतिक दल भाजपा , सपा , बसपा और कांग्रेस ने जनता का विश्वास खो दिया है। जो लोग एक निर्वाचित सरकार का दम्भ भरते है , वे यह सच स्वीकार करें कि यदि भारत का चुनाव आयोग छोटे राजनीतिक दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों का विरोधी ना होता तो विधान सभा और लोक सभा में 50% से ज्यादा सीटें छोटे राजनीतिक दल और निर्दलीय प्रत्याशी जीतकर आते। चुनाव आयोग यदि इन चारों राजनीतिक दल भाजपा , सपा , बसपा और कांग्रेस का हिमायती नहीं है तो केवल सभी बड़े - छोटे राजनीतिक दलों को एक साथ चुनाव चिन्ह आवंटित करें या चुनाव चिन्ह के बजाय प्रत्याशियों के चेहरे पर चुनाव हो।

इस देश के लोकतंत्र पर नेताओं ,नौकरशाहों , पुलिस , थैलीशाहों , संगठित अपराधियों , बिचौलियों ... ने अवैघ कब्जा कर लिया है । न्यायपालिका इनकी संरक्षक और बिकी हुई मीडिया इनकी चरण हैं। ये सभी नियम - कानून से ऊपर है। अब ' फैसला आन स्पाट ' के अलावा कोई विकल्प नहीं है। 23 जनवरी को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती है और उसी दिन जनता को लोकतंत्र - संविधान विरोधी आचरण करने वाली सरकार / नौकरशाही / पुलिस के खिलाफ खुली बगावत कर देना चाहिए। प्रथम जन क्रांति 1857 में कैसरबाग के निकट रेजीडेंसी में रह रहे कंपनी सरकार के रेजीडेंट / चीफ कमिश्नर हेनरी लारेंस को अवध की विद्रोही जनता ने घेर लिया था। बागियों की गोलीबारी में हेनरी लारेंस मारा गया था। भारत में तथाकथित लोकतंत्र है , वह कंपनी राज / फिरंगी राज - 02 है। हम इस कंपनी राज / फिरंगी राज - 02 से खुलेआम बगावत का ऐलान कर रहे है। 

सेना और  नौकरशाही - पुलिस में जो भी सच्चे - ईमानदार लोग है , उनको हम बागियों का प्रत्यक्ष / परोक्ष रूप से साथ देना चाहिए । उत्तर प्रदेश / भारत महादेश के दूसरे सरकारी विभागों के अधिकारियों  - कर्मचारियों ,  अधिवक्ताओं , शिक्षकों , साहित्यकारों , लेखकों , खिलाड़ियों , कलाकारों , बुनकरों , किसानों , कामगारों , मजदूरों , छोटे - मंझोले व्यापारियों ...आदि समाज के सभी वर्गों को हमारे साथ खड़ा होना चाहिए। हमारा लक्ष्य केवल इन स्वार्थी , आत्मकेंद्रित , परिवारवादी , भ्रष्ट ,जनद्रोही , देशद्रोही राजनीतक दलों , नौकरशाही , पुलिस का खात्मा करना ही नहीं है बल्कि उन सपनों  को साकार करना है जिसके लिए तरुण खुदीराम बोस ने 19 वर्ष की आयु में फिरंगी राज के खिलाफ लड़ने के चलते फांसी के फंदे को चूमा था। 

-----नैमिष  प्रताप सिंह -----


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