आनलाइन वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आयोजित हुआ कवि सम्मेलन
लखनऊ। आज दिनांक 25 जुलाई 2021 को साहित्यक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्थान "लक्ष्य" के तत्वावधान में आनलाइन वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए एक कवि सम्मेलन का आयोजित हुआ जिसकी अध्यक्षता प्रसिद्ध गजल कार रेनू वर्मा 'रेणु' ने की। मुख्य अतिथि प्रसिद्ध गज़लकार संजय मल्होत्रा 'हमनवा' थे तथा विशिष्ट अतिथि वीर रस के प्रसिद्ध कवि योगेश चौहान थे।
कवि सम्मेलन का सफल संचालन हास्य कवि गोबर गणेश ने किया। कवि सम्मेलन का प्रारंभ देहरादून की प्रसिद्ध गीतकार कविता बिष्ट की वाणी वंदना द्वारा हुआ। इसके पश्चात हास्य व्यंग्य के कवि राजीव पंत ने ऑनलाइन क्लासेस पर चुटकी ली-
आनलाइन क्लासेज का, अपना इतिहास है।
मां-बाप होशियार, तो बेटा पास है।।
इसके पश्चात राजस्थान की कवयित्री गीतकार गरिमा राकेश ने स्त्री पुरुष को लेकर यह सुन्दर कविता सुनाकर कार्यक्रम को नई दिशा प्रदान की-
तुम आधी रात में निकलो तो बुद्ध बना दिये जाते हो, गोपियों संग रास रचाओं तो,
कृष्ण बन पूजे जाते हो, दाँव पर भी लगा दो अपनी दारा को, तब भी धर्मराज ही कहाते हो,
हर ले जाएं कोई मुझे छल से भी, तो लक्ष्मण रेखा पार करने का, दोष मुझ पर ही लगाते हो।
सुप्रसिद्ध छंदकार शरद पाण्डेय 'शशांक' ने बेहतरीन दोहे प्रस्तुत कर खूब तारीफ बटोरी-
गण मात्रा यति गति किया, केवल सदा विचार।
असली कविता आज तक,जान न पाया यार।।
काव्य कला में हैं बसें, भांति-भांति रस छंद ।
लेकिन अब तक है यहां ,मिला न परमानंद।।
इन्दौर की कवियत्री गीतकार दामिनी ठाकुर ने बरसात पर यह सुन्दर गीत सुनाकर कार्यक्रम में चार चांद लगा दिया-
मेरे खेतों में देखो यह कैसी बहार है। धरती के पीर पे मेघों का मन मल्हार है।।
आ रही मिट्टी से यह खुशबू कैसी, शायद भाई बारिश की पहली फुहार है।।
कवि सम्मेलन का सफल संचालन कर रहे गोबर गणेश ने नेता के लिए जनता क्या इस पर हास्य कविता सुनाई-
जनता हमारी कामधेनु गाय है, इसको अमृत रूपी शब्दों का भाषण का चारा खिलाते रहो,
जब तक चाहे दुहतॆ रहो, एक आध लात मारे सहते रहो,
जब तक चाहो सत्ता का मजा लूटते रहो।।
वाणी वंदना कर चुकीं देहरादून की कवयित्री कविता बिष्ट ने जिन्दगी पर यह सुन्दर कविता सुनाई-
हर तरफ हरियाली सी हुई मेरी ज़िंदगी। रूप यौवन सी लगने लगी मेरी ज़िंदगी।।
नदियां सागर में मिली मिश्री सी घुल गई, मनभावन सी लगने लगी मुझे मेरी ज़िंदगी।।
वरिष्ठ कवि गीतकार कन्हैयालाल के इस मानवतावादी गीत ने ढेर सारी प्रशंसा बटोरी-
दीप मानवता का हर कोने में जलता रहता। हर तरफ दुनिया में बस प्यार ही पलता रहता।।
ईर्ष्या द्वेष को संसार में कोई ठाँव न मिलता, हर तरफ मित्रता का फूल ही खिलता रहता।
दीप मानवता का हर कोने में जलता रहता।।
कवि सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि वीर रस के कवि योगेश चौहान ने देशभक्ति गीत सुनाकर चेतना का नया संचार किया-
ताल ठोक कर चुनौती देने वालों के लिए, शीघ्र कब्र खोदने की है मेरी परंपरा।
बैरियों की छाती पे तिरंगा चक्र वाला चित्र, पूरा पूरा गोदने की है मेरी परंपरा।।
कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध गजलकार संजय मल्होत्रा 'हमनवा' ने यह बेहतरीन गजल सुनाई-
जो हमारी हालत से मुद्दतों से गाफ़िल है,
हमनवा उन्हीं को अब दास्तां सुनानी है।
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रही सुप्रसिद्ध वरिष्ठ कवयित्री रेनू वर्मा 'रेणु' ने यह सुन्दर ग़ज़ल सुनाई-
हो लक्ष्य पर जिनकी निगाहें, ठोकरें खुद मीत बन जाती।
बनाते समन्दर चीर कर राहें, लहरें मधुर संगीत बन जाती।
कसक वो रखते नहीं दिल में, गॅंवाकर के सल्तनत अपनी।
निशाना बस मीन की आंखें, जीत की वो रीत बन जाती।
अन्त में संस्था के साहित्यिक सचिव शरद पाण्डेय 'शशांक' ने सभी अतिथियों कवि कवयित्रियों का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा की।