क्रिया और लीला में अंतर होता है

क्रिया और लीला में अंतर है। हम जीव जो करते हैं उसका नाम है क्रिया और भगवान जो करते हैं उसका नाम है लीला। हम जो कर्म करते हैं उसमें अहंकार होता है और वह कर्म हम अपने लिए करते हैं जबकि भगवान दूसरे के लिए लीला करते हैं।

हम अभिमान से कर्म करते हैं मैं कर रहा हूँ तो उस कर्म के बंधन में बँधते हैं। भगवान में इसका अभाव होने के कारण उनका प्रत्येक कर्म लीला है उनका कोई भी कार्य अपने लिए नहीं है लेकिन जब भगवान शिक्षा देने के लिए लीला करते हैं तो उस लीला का नाम है चरित्र।

Popular posts from this blog

स्वस्थ जीवन मंत्र : चैते गुड़ बैसाखे तेल, जेठ में पंथ आषाढ़ में बेल

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

!!कर्षति आकर्षति इति कृष्णः!! कृष्ण को समझना है तो जरूर पढ़ें