शिव होने का अर्थ है, एक ऐसा जीवन जहाँ जीवन तो है मगर जीवन के प्रति आसक्ति नहीं
श्रावण में शिवजी का पूजन करते हुए विचार करें। शिव होने का अर्थ है, एक ऐसा जीवन जो मैं और मेरे से ऊपर जिया गया हो। जहाँ जीवन तो है मगर जीवन के प्रति आसक्ति नहीं और जहाँ रिश्ते तो हैं मगर किसी के भी प्रति राग और द्वेष नहीं। जहाँ प्रेम तो है मगर मोह नहीं और जहाँ अपनापन तो है मगर मेरापन नहीं।
जहाँ ऐश्वर्य तो है मगर विलास नहीं और जहाँ साक्षात माँ अन्नपूर्णा है मगर भोग नहीं। जहाँ नृत्य भी है, संगीत भी है, त्याग भी है और योग भी है मगर अभिमान नहीं। जीवन की वह स्थिति जब हम विषमता में भी जीना सीख जायें, जब हम निर्लिप्त रह कर बांटकर खाना सीख जायें और जब हम काम की जगह राम में जीना सीख जायें, वास्तव में शिव हो जाना ही है।