काकोरी शहीद स्मारक का आयोजन भाजपा का ढोंग है- अखिलेश यादव

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अगस्त क्रांति दिवस पर कहा कि 9 अगस्त 1942 को गांधी के आव्हान पर अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत हुई थी। 8 अगस्त 1942 की रात में भारत छोड़ों प्रस्ताव पारित हुआ था। गांधी ने इस मौके पर करो या मरो का मंत्र दिया था।

उन्होंने हर हिन्दुस्तानी से यह भी कहा था कि वह अपने को आजाद समझे। 9 अगस्त 1942 ऐसा आंदोलन था जिसमें देश का हर वर्ग स्वतः स्फूर्त सक्रिय था। समाजवादी विचारधारा के नेता जयप्रकाश नारायण, डाॅ0 राममनोहर लोहिया, अरुणा आसिफ अली आदि ने आंदोलन का नेतृत्व सम्हाला था। अगस्त क्रांति के शहीदों का सपना देश में किसान, मजदूर और युवाओं का राज स्थापित करना था। जिससे सभी को हक व सम्मान का जीवन हासिल हो सके। इस सपने को साकार करने की जिम्मेदारी समाजवादी पार्टी की है। जिस तरह समाजवादियों ने अगस्त क्रांति, जे.पी. आंदोलन के दौरान अग्रणी भूमिका अदा की थी उसी तरह आज भी उसकी स्वर्णिम परम्परा को आगे बढ़ाते हुए हम समाजवादी भी एकजुट होकर संवैधानिक मूल्यों को बचाने तथा उन्हें पुनः स्थापित करने की ऐतिहासिक भूमिका का निर्वहन करेंगे।

समाजवादी पार्टी के पास युवा नेतृत्व, युवा साथियों की ताकत, संघर्ष से न डिगने वालों एवं किसानों और गरीब श्रमिकों का जीवंत समूह है। आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक परिवर्तन के लिए युवाओं, किसानों, मेहनतकशों और समाज के विचारशील वर्गों की सहभागिता ही समाजवादी पार्टी की ताकत है। देश की विविधता को नष्ट करने की साजिशों के दौर में संवैधानिक मूल्यों को बचाने तथा हर नागरिक का समृद्ध एवं सुरक्षित जीवन सुनिश्चित करने के लिए समाजवादी पार्टी प्रतिबद्ध है। अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा और उसके मूल संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का स्वतंत्रता आंदोलन में कोई सम्बंध नहीं था। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में काकोरी शहीद स्मारक का आयोजन भाजपा का ढोंग है। अगस्त क्रांति दिवस के एक दिन पूर्व आगरा में पुलवामा के अमर शहीद की पत्नी व बेटों को, शहीदों के लिए की गयी घोषणाओं की पूर्ति की मांग करने के लिए मुख्यमंत्री से मिलने न देकर अपमानित कर भगा देना अति निन्दनीय घटना है।

भाजपाईयों ने कभी शहादत नहीं दी, वो शहीदों का सम्मान करना क्या जानें। भाजपा सामाजिक सद्भाव के खिलाफ काम करती है। अंग्रेजों की तरह भाजपा की कोशिश समाज का विघटन करने की रहती है। इससे सतर्क रहने की आवश्यकता है। आज देश में दो तरह की विचारधाराओं में टकराव है। एक तरफ लोकतंत्र है तो दूसरी तरफ अपने को सर्वोपरि दिखाने की सत्ता लिप्सा। इसमें हमें तय करना है कि हमें किधर जाना है? आज देश के समक्ष जो समस्याएं और चुनौतियां हैं उनके समाधान का रास्ता सिर्फ समाजवादी विचारधारा के पास ही है। जे.पी.-लोहिया की समाजवादी रीति-नीति पर चलने का काम राजनैतिक दल के रूप में समाजवादी पार्टी ही कर रही है। व्यवस्था परिवर्तन के आंदोलन को आगे बढ़ाने को समाजवादी पार्टी संकल्पित है।

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