लखनऊ। सरकार एक बार फिर
मुख्यमंत्री आरोग्य मेले की शुरुआत करने जा रही हैं। विभागीय अधिकारियों को
इस संबंध में कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए जा चुके हैं। उल्लेखनीय
है कि वर्ष 2020 में योगी सरकार ने यह सुनिश्चित किया था कि प्रदेश में
प्रत्येक रविवार को सभी प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर
मुख्यमंत्री आरोग्य योजना के तहत आरोग्य मेलों का आयोजन हो।
उस समय मात्र
छह-सात आरोग्य मेले ही सम्पन्न हो पाये थे, जिसके माध्यम से 30 लाख से अधिक
लोगों ने बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त कीं। उसी दौरान वैश्विक
महामारी कोरोना ने दस्तक दे दी। ऐसे में सरकार को यह कार्यक्रम स्थगित करना
पड़ा। अब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में मुख्यमंत्री के
ट्रेस, टेस्ट, ट्रीट की प्रभावी नीति के नाते प्रदेश में कोरोना संक्रमण की
दूसरी लहर लगभग नियंत्रण में है, सरकार लोगों को सस्ते और बेहतर इलाज की
सुविधा देने के लिए फिर से मुख्यमंत्री आरोग्य मेले शुरू करने जा रही है।
विभागीय अधिकारियों को इस बावत कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए जा चुके
हैं। उम्मीद है कि कोरोना प्रोटोकॉल के पालन के साथ व्यापक जनहित में एक
बार फिर यह आयोजन शीघ्र ही शुरू होगा।
कोरोना
को न्यूनतम स्तर पर लाने के बाद अन्य तमाम रोगों के नियंत्रण में यह आयोजन
मददगार बनेगा। स्वास्थ्य विभाग इस विशेष अभियान की नोडल एजेंसी होगी। बाकी
विभाग पहले की तरह ही इसमें सहयोग करेंगे। यह आयोजन न केवल लोगों के
आरोग्य लाभ का जरिया बनेगा बल्कि उनको विभिन्न विषाणु जनित बीमारियों, खुले
में शौच, गंदगी और प्रदूषित पानी से होने वाले रोगों के प्रति जागरूक करने
का मंच भी बनेगा। मुख्यमंत्री आरोग्य मेले में स्वास्थ्य के साथ-साथ
परिवार कल्याण, पोषण और स्वास्थ्य जागरूकता, आयुष्मान कार्ड, मिशन
इंद्रधनुष, खुशहाल परिवार दिवस और मातृत्व वंदना दिवस जैसे कार्यक्रमों के
बारे में भी सविस्तार जानकारी दी जाएगी।
आम
आदमी को भी पास में ही सस्ता और आधुनिक इलाज मिले, यह योगी आदित्यनाथ की
बतौर सांसद भी प्रथमिकता रही है। गोरखपुर स्थित बाबा राघव दास (बीआरडी)
मेडिकल कॉलेज की बेहतरी, पूर्वांचल के मासूमों के लिए करीब चार दशकों से
काल बनी इंसेफेलाइटिस के टीककरण, इलाज एवं इसकी जांच के लिए इंडियन
वायरोलॉजिकल सेंटर पुणे से संबद्ध रीजनल सेंटर की स्थापना तथा गोरखपुर में
एम्स के लिए सड़क से संसद तक संघर्ष, उनकी स्वास्थ्य के क्षेत्र में रुचि का
प्रमाण है। इतना ही नहीं, अपने स्तर से उन्होंने गुरु श्रीगोरक्षनाथ
अस्पताल की स्थापना कराकर पूर्वांचल की जनता को आधुनिक और सस्ती इलाज की
सुविधा मुहैया कराई। इस अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सकों की सुविधा दूरदराज
के गांवों में भी मिले, इसके लिए ब्लॉक स्तर पर जांच, इलाज और दवा वितरण के
लिए निःशुल्क कैंप आयोजित किए गए। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी यह सिलसिला
जारी है।