बाराबंकी दुराचार कांड में पुलिस का कार्य–व्यवहार संदिग्ध
बाराबंकी/ लखनऊ। एक तरफ हम संसार के मानचित्र पर सबसे
बड़े लोकतांत्रिक देश होने का गर्व महसूस करते है तो दूसरी ओर जैसे–जैसे
लोकतंत्र की आयु बढ़ रही है वैसे – वैसे इसका स्वरूप समता के मूल्यों के लिए
लगातार संकट पैदा कर रहा है। राजनीतिक दृष्टि से भारत के सबसे महत्वपूर्ण
राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का भ्रष्टाचार और अपराध पर कोई समझौता न
करने का दावा केवल राजधानी की प्रेस वार्ताओं में वह भी ए.एन.आई. और गिनती
के तथाकथित बड़े मीडिया संस्थानों के पत्रकारों तक सिमटकर रह जाता है।
राजधानी लखनऊ से मुश्किल से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बाराबंकी जिले की
असंद्रा थाने में योगी आदित्यनाथ के ’राम राज्य’ से प्रेरित कार्य
–व्यवहार का असल नमूना देखा जा सकता है। बाराबंकी जिले की असंद्रा थाने की
पुलिस ने भटिया ग्राम के विजय को उनके गांव की ही एक नाबालिग एवं कथित
बलात्कार पीड़िता के मामले में 23 अगस्त से थाने पर बैठा रखा है। अभी इसके
10 साल 4 माह के भाई चंदन को भी 18 अगस्त से लेकर 21 अगस्त तक यानि 4 दिन तक
पुलिस ने इसी मामले में थाने पर बैठाए रखा था। इस तथाकथित सामूहिक दुराचार
में पुलिस की कार्य प्रणाली जांच की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगा देती
है। पुलिस अधीक्षक बाराबंकी को बताना
चाहिए कि नाबालिग एवं कथित पीड़िता जिसने 10 दिन पूर्व एक बच्चे को
जन्म दिया हैं, पुलिस कब से चन्दन, उसके सभी चारों भाईयों एवं उनके गांव
के चन्द्रप्रकाश तिवारी को उक्त नाबालिग एवं कथित पीड़िता के साथ हुए गैंगरेप का आरोपी मानती हैं और इसका क्या आधार है?
नाबालिग एवं कथित पीड़िता
के पिता को यह जानकारी कब मिली कि चन्दन एवं उसके सभी भाइयों और
चन्द्रप्रकाश तिवारी ने बारी - बारी से उनकी पुत्री के साथ उसके ही गांव
में बंधक बनाकर 06 –07 माह तक दुष्कर्म किया ? यह जानकारी यदि उनको अपनी
पुत्री के 28 जून को हुए विवाह के पूर्व हुई तो उन्होंने कथित बलात्कारियों
के खिलाफ प्रार्थनापत्र क्यों नहीं दिया? यदि ऐसा कोई प्रार्थनापत्र
नाबालिग एवं कथित पीड़िता के पिता द्वारा दिया गया तो पुलिस ने इन तथाकथित
बलात्कारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज क्यों नहीं किया? पुलिस को नाबालिग
एवं कथित पीड़िता और नाबालिग चन्दन के विवाह की सूचना कब मिली? 28 जून को
नाबालिग एवं कथित पीड़िता के पिता ने भठिया गांव के प्रधानपति और गांव के ही
कुछ संदिग्ध चरित्र के व्यक्तियों के सहयोग से नाबालिग चन्दन के साथ
जबरिया विवाह करा दिया। सवाल यह हैं कि पुलिस ने नाबालिग कथित पीड़िता के
पिता द्वारा कथित नाबालिग बलात्कारी चन्दन के साथ जबरिया विवाह को लेकर अभी
तक कोई कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं किया?
क्या 10 वर्ष 2 महीने के लड़के
के साथ ग्राम प्रधान पति और गांव के कुछ संदिग्ध चरित्र के व्यक्तियों की
सहायता प्राप्त करके जबरिया अपनी गर्भवती लड़की का विवाह कराने वाले उक्त
नाबालिग एवं कथित पीड़िता के पिता का यह कृत्य विधि के विरुद्ध नहीं हैं? स्थानीय पुलिस ने 18 से लेकर 21 अगस्त तक अर्थात 04 दिन तक 10 वर्ष 4
महीने के नाबालिग लड़के चन्दन को जबरिया थाने पर बैठाया। 22 अगस्त को 11.30
पर हल्का दरोगा कृष्ण चन्द्र दो पुलिसकर्मियों के साथ चन्दन के घर आकर
उसके दोनों भाईयों विजय और श्रवण को थाने पर आने के लिए कहा जिस पर अगले
दिन विजय अपनी माता के साथ थाने पर गया, जहां उसकी माता को घर जाने के लिए
कहा गया और विजय को अभी तक थाने पर जबरिया बैठाए रखा गया है और श्रवण की
खोजाई हो रही है। इसके पहले हल्का दरोगा कृष्णबली चन्दन के परिवार वालों को
कई बार गालियां-धमकियां दे चुके है।
पुलिस चन्दन के परिवार के खिलाफ तो
एकतरफा कार्रवाई कर रही है लेकिन कथित नाबालिग बलात्कारी चन्दन के साथ अपनी
07 माह की गर्भवती, नाबालिग एवं कथित पीड़िता पुत्री का जबरिया विवाह
कराने में उसके पिता को सहयोग करने वाले भठिया गांव के प्रधान पति और गांव
के ही कुछ संदिग्ध चरित्र के व्यक्तियों से कोई पूछताक्ष क्यों नहीं कर रही
है? जब 28 जून को 07 माह की गर्भवती, नाबालिग एवं कथित पीड़िता पुत्री
का विवाह उसके पिता द्वारा भठिया गांव के प्रधान पति और गांव के ही कुछ
संदिग्ध चरित्र के व्यक्तियों के सहयोग से नाबालिग कथित बलात्कारी चन्दन के
साथ करा दिया जाता है तब उनकी पुत्री द्वारा एक बच्चे को जन्म देने के बाद
अब न केवल चन्दन बल्कि उसके अन्य चारों भाई और गांव के ही एक अन्य नागरिक
चन्द्रप्रकाश तिवारी के ऊपर सामूहिक दुराचार के आरोपों की सच्चाई को पुलिस
अन्य घटनाओं - तथ्यों को ध्यान में रखकर क्यों नहीं परख रही है? कथित
बलात्कारी चन्दन के परिवार से कथित नाबालिग बलात्कार पीड़िता के पिता
द्वारा कई बार मांगे गए 06 लाख रुपए नगद और पीड़िता के लिए 03 हजार
प्रतिमाह को ध्यान में रखकर जांच –पड़ताल क्यों नही की जा रही हैं ?
यदि किसी व्यक्ति के विरुद्ध थाने में गंभीर आरोपों में
लिप्त होने का आरोप लगने वाला कोई प्रार्थनापत्र आता है तो पुलिस द्वारा
पूछताछ स्वाभाविक है लेकिन दुष्कर्म जैसे गंभीर मामलों में प्रथम सूचना
रिपोर्ट पंजीकृत करने से पूर्व प्रार्थनापत्र में दिए गए तथ्यों की सघनता
से जांच करनी चाहिए थी। यदि पुलिस ने कथित नाबालिग बलात्कार पीड़िता के
पिता के द्वारा प्रस्तुत प्रार्थनापत्र को जिम्मेदारी से पढा भी होता तो कम
से कम चन्दन के जो दो भाई कुमार और मलखान लम्बे समय से मध्य प्रदेश
राज्य के इंदौर शहर में जीविकोपार्जन करते है, उनका नाम से प्रथम सूचना
रिपोर्ट पंजीकृत ना करती। असन्द्रा थाने की पुलिस ने 58 वर्षीय चन्द्र
प्रकाश तिवारी के खिलाफ अपने घर पर उक्त कथित नाबालिग बलात्कार पीड़िता के
पिता के द्वारा प्रस्तुत प्रार्थनापत्र के आधार पर 06 –07 महीने बंधक बनाकर
बलात्कार करने और करवाने के आरोप को लेकर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर
लिया जबकि उस घर में उनका पूरा परिवार रहता है लेकिन भटिया के प्रधान पति
और अन्य संदिग्धों से पूछताछ करने के लिए भी तैयार नही है।
आखिरकार दो
नाबालिगों के विवाह में भटिया के प्रधान पति क्यों लड्डू बांट रहे थे और
विवाह के लिए राशन ,बर्तन और कपड़ा आदि क्यों दिया? पुलिस अलग –अलग कारणों
से गांव के जिन कुछ संदिग्ध व्यक्तियों तुलसीराम , राजकुमार , सर्वजीत ,
ननकऊ , देवीसरन ... आदि का नाम इस मामले में नाम आ रहा है, उनसे कोई
पूछताछ क्यों नही कर रही है? कहीं ऐसा तो नहीं हैं कि नाबालिग पीड़िता के
साथ प्रधानपति के गुर्गों ने बलात्कार किया हो और उसके पिता ने चन्दन,
उसके भाइयों और चन्द्र प्रकाश तिवारी को साजिशन फंसाया हो और स्थानीय
असन्द्रा थाने की पुलिस भी इसमें शामिल हो। इसलिए इस मामलें की बेहद
सतर्कता से त्वरित, निष्पक्ष एवं सक्षम जांच होनी चाहिये और इस दौरान
नाबालिग चन्दन, उनके भाइयों और चन्द्र प्रकाश तिवारी के खिलाफ उत्पीड़ात्मक
कार्रवाईयों का कोई औचित्य नहीं बनता है।
नैमिष प्रताप सिंह