शिवजी दयालु होने के साथ विध्वंशक भी है

श्रावण मास में भगवान शिव को नमन करते हुए उनकी छटा के दर्शन करें शिवजी का वाहन नंदी है, वृषभ है वृषभ को धर्म का स्वरूप कहा जाता है शिवजी धर्म की सवारी करते हैं। जीवन की सात्विक प्रगति के लिए हमारे जीवन में धर्म की बहुत बड़ी आवश्यकता है। पशु तब तक ही सही चलता है जब तक लगाम उसके ऊपर होती है, लगाम हटी कि वह लड़ पड़ता है

पशु को लगाम और आदमी को धर्म नियंत्रित करता है। जीवन अगर एक ऊर्जा है तो धर्म जीवन रुपी ऊर्जा की लगाम है। इस ऊर्जा का कब, कैसे, किसके लिए और कहाँ इसका उपयोग करना है यह धर्म ही हमें बताता है शिवजी दयालु तो हैं ही साथ ही विध्वंश भी करने वाले है। धर्म के अनुसार विध्वंश करने के कारण वह दोनों अवस्थाओं में सम रहते हैं ज्ञानी व्यक्ति अनासक्त भाव से कर्म करने के कारण कर्म के बन्धन में नहीं फँसता।

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