जो आशा ब्रिटिशर्स की थी वो ही हमारे नेताओं की भी है



जिन लोगों को हथकड़ी पहनानी है उन्हें अगर आप सैल्यूट करवाओगे तो एक पढ़ा लिखा आईपीएस भी मूर्ख ही लगेगा। आपने देखा होगा कि जब भी कोई दल सत्ता में आता है तब अलग अलग चार्जेज में ओपोजिशन के लोग जेल भेजे जाते हैं। सरकार बदलते ही अफसरों का मनमाफिक ट्रांसफर कर दिया जाता है। ला एन्ड आर्डर पर अपना शिकंजा बिठाने के लिए पुलिस को सबसे पहले शिकंजे में लिया जाता है और उनकी जी हुजूरी करने में माहिर लोगो को महत्वपूर्ण जगहों का चार्ज दिया जाता है।

नेताओ का पुलिस विभाग में हस्तक्षेप नही होना चाहिए इसको लेकर पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल डाली और सुप्रीम कोर्ट ने पीआईएल को एक्सेप्ट भी किया। प्रकाश सिंह यह केस जीत गए। 22 सितम्बर 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि पोलिटिकल पार्टी का पुलिस विभाग में हस्तक्षेप नही होना चाहिए और सभी राज्यो को निर्देश दिए।

ऑन पेपर तो ये सब कुछ मौजूद है और सबने एक्सेप्ट किया क्योंकि मजबूरी थी लेकिन ग्राउंड पर इसे इम्पलीमेंट नही किया। तब सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी बनाई और मॉनिटरिंग की। इसे लीड किया था जस्टिस थॉमस ने और उस कमेटी ने जो रिपोर्ट दी उसमे कहा गया है कि यह निराशा जनक है कि किसी स्टेट ने सुप्रीम कोर्ट के डायरेक्शन को माना ही नही।

स्पष्ट है कि ना ये तब लागू हुआ था और ना आज लागू हुआ है क्योंकि कोई चाहता ही नही है।पुलिस स्टेट का सब्जेक्ट है। स्टेट चाहे तो वह अपने यहां इसे लागू कर सकती है। इसके लिए उसे सेट्रल पर आश्रित रहने की बाध्यता नही है।

दरअसल जब पहली बार भारतीयों ने 1857 में ब्रिटिशर्स के खिलाफ विद्रोह किया तब अंग्रेजों ने मन बनाया कि ऐसा दुबारा ना हो इसके लिए इंतजाम किया जाय। इसके लिए 1861 में वे पुलिस एक्ट लेकर आये। जिसका काम लोगो की सहायता करना नही बल्कि लोगो को दबाना और नियंत्रित करना था। 

अगर यह सिस्टम अच्छा होता तो वे लोग अपने देशों में भी इम्पलीमेंट करते लेकिन 1861 वाला एक्ट केवल यहीं चल रहा है। तबसे यूपी पुलिस रिफॉर्म जीरो है। इस एक्ट को आज के अनुरूप पुनर्गठित करने का साहस ही नही उतपन्न किया गया या यूं कह लें कि नेताओ ने होने ही नही दिया क्योंकि ये सिस्टम हमारे नेताओं के मनमुताबिक है। जो आशा ब्रिटिशर्स की थी वो ही हमारे नेताओं की भी है। ला एन्ड आर्डर सम्हालना। हमारे यहां पुलिस को बहुत शक्ति प्राप्त है।

जब भी कोई भ्रष्ट सरकार सत्ता में आती है तो उसके केवल दो उद्देश्य होते हैं। पहला मौजूदा स्थितियों पर नियंत्रण रखना और अगले चुनाव को आर्थिक रूप से सुरक्षित बनाये रखना। दूसरे उद्देश्य के लिए तो कई विभाग है लेकिन मौजूदा स्थिति को नियंत्रण में लेने के लिए पुलिस की पावर्स अपने कंट्रोल में ले लेते हैं।


-निखिलेश मिश्रा

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