यदि भक्त का समर्पण सच्चा है तो उसको सफलता अवश्य प्राप्त होती है

 
भोजन करने वाले को प्रत्येक ग्रास के साथ तुष्टि (तृप्ति), पुष्टि (जीवन शक्ति का संचार) तथा क्षुधा निवृत्ति ये तीनों एक साथ प्राप्त हो जाते हैं।
 
वैसे ही जो मनुष्य भगवान की शरण लेकर उनका भजन करने लगता है उसे भजन के प्रत्येक क्षण में भगवान के प्रति प्रेम, अपने प्रेमास्पद प्रभु के स्वरूप का अनुभव और उनके अतिरिक्त अन्य वस्तुओं से वैराग्य इन तीनों की एक साथ ही प्राप्ति होती है। ऐसा भक्त संसार मे निर्भय हो जाता है। यदि भक्त का सर्व समर्पण सच्चा है तो उसको सफलता, अखण्ड सुख व साक्षात परम् शांति अवश्य प्राप्त होती है।

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