इतिहास लिखने निकले मिथिला के युवा
कहा जाता है जिस ओर जवानी चलती है उस ओर जवाना चलता है। आज एक बार फिर जमाना उसी राह पर चल पड़ा है जहाँ से जवान निकल रहे हैं। मिथिला के नौजवान नया इतिहास लिखने ज़माने को साथ लेकर आगे बढ़ रहे हैं। इन जवानो पर अपनी धरती के लिए कुछ कर गुजरने की मस्ती छाई है। गेहूं के मदमस्त बालियों की तरह ये जवान भी अपने मद में झूमते हुए नया इतिहास रचने निकले हैं जिन्हें ना तो भूख सता रही है ना ही रास्तों की लम्बाई थका रही है,इन्हें सिर्फ मंजिल दिखाई दे रही है और वो मंजिल है दरभंगा में AIIMS निर्माण।जी हाँ बिहार के दरभंगा जिले में AIIMS के निर्माण की घोषणा पूर्व वितमंत्री स्व अरुण जेटली ने 28 फरवरी 2015 को किया था,जिसका शिलान्यास अभी तक नहीं हो पाया है निर्माण तो बहुत दूर की बात है। मिथिला के युवाओं ने “मिथिला स्टूडेंट यूनियन” के माध्यम से सरकार के साथ अनेको बार पत्राचार किया फिर भी सरकार ने सुध नहीं ली।बिहार में डबल इंजन सरकार होते हुए भी 6 वर्ष बीत जाने के बाद भी निर्माण तो दूर AIIMS का शिलान्यास भी नहीं हो पाया है। सरकार की शिथिलता को देखते हुए मिथिला के युवाओं ने जनभागीदारी से 08 सितम्बर को दरभंगा AIIMS के शिलान्यास की तारीख पक्की की है।
मिथिला के युवा साईकिल से गाँव-गाँव घर-घर जाकर दरभंगा AIIMS के लिए ईट इकट्ठा कर रहे हैं। युवाओं के इस जोश को देखते हुए शहरवासी व ग्रामवासी भी उनका सहयोग कर रहे हैं।देश की आजादी के लिए मतवाले युवाओं को शायद लोगों ने नहीं देखा हो लेकिन दरभंगा AIIMS के लिए मतवाले युवाओं को समाज का सम्पूर्ण सहयोग मिल रहा है।
बताते
चलें कि दरभंगा मिथिला की राजधानी रही है। मिथिला नरेश महाराजाधिराज स्व कामेश्वर
सिंह मिथिला के अंतिम राजा रहे।देश की आजादी के बाद देश में राजवंशी प्रथा ख़त्म हो
गई और लोकतंत्र की शुरुआत हुई।दरभंगा महाराज दरभंगा से ही राज काज देखते थे।दरभंगा
में एम्स निर्माण के बाद दरभंगा से सटे जिले मधुबनी,समस्तीपुर,बेगुसराय,सीतामढ़ी आदि
जिले के लोगों को काफी सुविधा होगी।अभी इलाज के लिए लोगों को दिल्ली,लखनऊ आदि दूर
शहरों में जाना पड़ता है जिसको देखते हुए वर्ष 2015 में दरभंगा में एम्स बनाने की
घोषणा की गई थी लेकिन डबल इंजन की सरकार ने अभी तक शिलान्यास भी नहीं किया।विकासवादी
सरकार की उदासीनता को देखते हुए युवाओं ने खुद ही शिलान्यास करने का फैसला लिया है।