कारागारों में मोबाइल तथा अन्य इलेक्ट्रानिक्स डिवाइस के प्रयोग पर अब 03 से 05 वर्ष की सजा

लखनऊ। प्रदेश की कारागारों में बंदी अनुशासन हेतु प्रिजन्स एक्ट-1894 के प्रावधानों में संशोधन कर कारागारों में मोबाइल तथा अन्य इलेक्ट्रानिक्स डिवाइस के उपयोग को संज्ञेय एवं गैर जमानती अपराध बनाया गया है। इसके तहत इनके उपयोग पर अब 03 से 05 वर्ष की कठोर सजा तथा 20 से 50 हजार रूपये तक अर्थदण्ड की सजा अथवा दोनों से दण्डित करने की व्यवस्था लागू कर दी गयी है।

प्रदेश के कारागारों में यदि कोई बंदी कारागार परिसर के अन्दर अथवा उसके बाहर किसी भी प्रकार के बेतार संचार युक्ति का प्रयोग करते हुये पाया जाता है तथा इसके परिणामस्वरूप कोई अपराध कारित किया जाता है, तो दोष सिद्ध होने पर उसे उक्त सजा से दण्डित कराने का प्रावधान किया गया है। इस व्यवस्था के लागू होने से मोबाइल फोन, वाईफाई, ब्लूटूथ, निकट क्षेत्र संचार (एन0एफ0सी0), टैबलेट, वैयक्तिक कम्प्यूटर, लैपटॉप, पॉमटाप, इण्टरनेट, जी0पी0आर0एस0, ई-मेल, एम0एम0एस0, या अन्य कोई उपस्कर यथा मोबाइल सिम आदि का प्रयोग कारागार परिसर के अन्दर अथवा उसके बाहर किसी भी प्रकार से नही किया जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि इस प्रकार के इलेक्ट्रानिक्स डिवाइस के प्रयोग पर सजा के प्रावधान से अब जेलों में इनके उपयोग पर अंकुश लगेगा।

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