आजाद भारत के इतिहास में एकदम अलग होगा 2022 का विधानसभा चुनाव
उत्तर प्रदेश 2022 विधानसभा चुनाव आजाद भारत के इतिहास में अब तक के हुए चुनाव से एकदम अलग होगा। पहली बार भारतीय जनता पार्टी की केंद्र और उत्तर प्रदेश में बहुमत की सरकार के नेतृत्व में चुनाव होने जा रहा है। केन्द्र का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रूप में परिवार से दूर राष्ट्र के प्रति समर्पण और चाय बेचने से शुरू होकर प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले लोकप्रिय नेता हैं। जिनका राजनीतिक जीवन 50 वर्षों से अधिक का रहा है। वह ऐसे पहले प्रधानमंत्री है जो 10 वर्षों से अधिक समय तक एक मुख्यमंत्री के रूप में गुजरात राज्य का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
तमाम उतार चढ़ाव केंद्र में कांग्रेस सत्ता के दौरान केंद्रीय जांच एजेंसियों से रूबरू होकर निखरे हैं। मोदी का अनुभव और किसी भी कार्य करने व निर्णय में जोखिम उठाने की एक असीम क्षमता है। इस बात का प्रमाण 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद 2021 तक लिए गए निर्णय जिनमें नोटबंदी, पकिस्तान में एयर स्ट्राइक, GST, धारा 370, 35 A, जम्मू कश्मीर का बंटवारा, जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करना, अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास, पिछड़ों को मेडिकल में आरक्षण देना, तीन तलाक आदि शामिल है। प्रधानमंत्री बनने के बाद विशेष स्टाइल में वस्त्र धारण करके विश्व भ्रमण करना, दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्ष से मिलने में भी एक कीर्तिमान बनाया है। ज़मीन से जुड़े होने के कारण देश की जातीय एवं धार्मिक समीकरण तथा स्थानीय मुद्दों पर मोदी को पीएचडी जैसी डिग्री प्राप्त है। देश में कोई ऐसा नेता नहीं है जिसके पास जमीन से लेकर देश के बड़ी-बड़ी समस्याओं पर जानकारी मोदी जैसी है। मोदी को चुनावी एजेंडा सेट करने में डायरेक्टरेट जैसी डिग्री हासिल है। मोदी के साथ उत्तर प्रदेश में पहली बार 303 संख्या के साथ मुख्यमंत्री की कुर्सी सँभालने वाले योगी के रूप में आदित्यनाथ जी है।
योगी और मोदी के ऊपर सीधे तौर पर अभी तक भ्रष्टाचार के कोई आरोप नहीं है। यही इनकी सबसे बड़ी ताकत है। अनुभव का लाभ उठा कर मोदी ने 9 महीने से चल रहे ऐतिहासिक किसान आंदोलन को अभी तक संज्ञान में नहीं लिया और अब बड़े बनाम छोटे किसानों में बाँट कर नए तरीके की सियासत भी शुरू कर दिए हैं। योगी आदित्यनाथ 5 वर्षों के कार्यकाल में कोरोना जैसी महामारी में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को देश प्रदेश एवं दुनिया ने देखा है। आक्सीजन के बिना अस्पतालों में इलाज न मिलने से हजारों हजारों की संख्या में लोगों ने अपनों को खोया है। कब्रिस्तान और श्मशान में अंतिम संस्कार के लिए 24 से 48 घंटों तक लाइन में लगना पड़ा। ऐसी बदहाली प्रदेश की जनता ने देखी है। मोदी और योगी दोनों सरकारों द्वारा 300 से अधिक योजनाएं गांव गरीब किसान के साथ-साथ समाज के हर तबके के लिए चलायी जा रही हैं। कोरोना संकट में 5 किलो अनाज और निशुल्क वैक्सीन सरकार की एक विशिष्ट उपलब्धि के रूप में प्रचारित हो रही है।
केंद्र एवं प्रदेश सरकार की उपलब्धियां ही मीडिया और भाजपा के प्रचार तंत्र द्वारा ऐसा प्रचारित किया जा रहा है जो कि दूर दराज गांव तक पहुंच रहा है। मोदी के नेतृत्व में भाजपा हमेशा चुनावी मोड में रही है। चुनाव किसी भी राज्य का क्यों न हो चेहरा मोदी का होता है और एजेण्डा भी मोदी तय करते हैं। मोदी द्वारा तय किये एजेंडों को अमलीय जामा पहनाने के लिए ताकतवर गृह मंत्री अमित शाह जिन्हे चाणक्य भी कहा जाता है, उनके हाथों में होती है। मोदी और अमित शाह की गुजराती जोड़ी ने देश के इतिहास में नये राजनीतिक दिशा तय की है और कमजोरियों को दबाकर विपक्ष पर हमेशा आक्रामक सियासत किया है। मोदी और योगी दोनों के सरकार की उपलब्धियां उत्तर प्रदेश में चुनावी मुद्दा बनकर विजय नहीं दिला सकती यह इसीलिए मोदी का एजेण्डा देश के किसी भी चुनाव में कहने के लिए विकास का होता है लेकिन असली एजेंडे में जाति धर्म हिंदुत्व और विपक्ष की तमाम कमजोरियां शामिल होती है।
किसी राज्य का चुनाव हुआ हो, उसमे मोदी के भाषण और एजेंडे को देखे तो हमेशा राष्ट्रवाद, हिंदुत्व और सरकारी जांच एजेंसियों के दवाब, छापे, कार्यवाही के आस पास ही रहा है। पश्चिम बंगाल इसका सबसे बड़ा उदाहण है। उत्तर प्रदेश में 1989 के बाद गैर कोंग्रेसी सरकारें बनती रही और हर सरकार का एक अपना जोड़ तोड़ का इतिहास है जिसे हम पुस्तक में विस्तृत रूप से विश्लेषण कर चुके है। 2007 विधानसभा चुनाव में मायावती ने ब्राह्मण दलित के प्रयोग से सफलता हासिल की। 2012 युवा चेहरे अखिलेश यादव के नेतृत्व में लड़ा गया जिसके कारण युवाओं का व्यापक समर्थन मिला। बसपा के भ्रष्टाचार और भाजपा और कांग्रेस की कमजोरी का लाभ मिला और बहुमत की सरकार बनी। अखिलेश यादव के 5 साल कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में विकास की नयी दशा मिली लेकिन मुजफ्फर नगर के दंगे भ्रष्टाचार एवं माफियाओं को संरक्षण देने जैसे गंभीर आरोप भी लगे। मोदी जानते थे कि 2017 में केन्द्र के विकास एजेंडे के माध्यम से उत्तर प्रदेश नहीं जीता जा सकता इसलिए चुनावी एजेंडा कब्रिस्तान श्मशान, भ्रष्टाचार एवं जातीय समीकरण को आधार बना कर अखिलेश के विकास के एजेंडे को गायब कर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने 9 महीने से चले आ रहे किसान आन्दोलन को बड़े ही चालाकी से अनदेखा करके किसानों को बड़े किसान और छोटा किसान कर दिया है। रैली में आयोजित जनसभा में मोदी ने स्पष्ट रूप से खुली भाषा में आंदोलन कर रहे किसानों को अघोषित चुनौती दे दी है कि उनसे कोई बात नहीं होगी क्योकि वह 80% छोटे किसानों के लिए कानून बनाये है उनके हितों की रक्षा कर रहे है अगर किसान आंदोलन में ताकत है तो किसान 2022 में मोदी के इस 80 बनाम 20 के एजेंडे को बैलट के माध्यम से जीते। तीसरा हिंदुत्व एजेण्डा को योगी के माध्यम से मोदी ने एक धार दे दी है। मोदी ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार में माफियाओं पर अंकुश लगाया है अब किसी माफिया व अपराधी की हिम्मत नहीं है कि वह अपराध करे। अपराध करने से पहले अपराधियों को कई बार सोचना पड़ेगा क्योकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पिछली सरकारों में बच्चियों का स्कूल जाना, महिलाओं का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया था। माता पिता बेटी जब तक घर नहीं आ जाती थी, परेशान रहते थे। महिलाएं खुले रूप से घूम नहीं सकती हैं।
गुंडाराज से परेशान होकर लोग अपने घर बेचने को मजबूर हो गए हैं लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार बनते ही माफियाओं पर की गयी कार्यवाही से उत्तर प्रदेश में बच्चियां स्कूल जा रही है महिलाएं खुले रूप से घूम रही है और अब किसी को मकान बेचने के लिए विवश नहीं होना पड़ रहा है। अलीगढ़ की धरती पर दिया गया यह भाषण पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुस्लिम बहुल्य जनपदों (रामपुर, मुरादाबाद, बिजनौर, अमरोहा, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बरेली, बदायूं, बुलंदशहर, शाहजहांपुर, पीलीभीत, गाज़ियाबाद, बागपत आदि) के लिए एक सन्देश के रूप में देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री ने किसी का नाम नहीं लिया लेकिन उनके भाषणों से स्पष्ट है कि चुनाव एजेंडा हिदुत्व एवं हिंदुत्व का चेहरा योगी आदित्यनाथ का होगा। आलीगढ़ की पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जाट धरती पर राजा महेन्द्र सिंह प्रताप जैसे व्यक्तित्व को जाट मतों के लिए उनकी जाति जाट बताने से नहीं चुके। स्वर्गीय कल्याण सिंह की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने जातीय एजेण्डे को भी जोड़ दिया।
प्रधानमंत्री की कल्याणकारी योजनाओं और अनाज वितरण के लिए योगी की जमकर तारीफ की वहीं विपक्ष को भ्रष्टाचारी और गरीबों के हकों एवं उनकी योजनाओं को लूट करने वाला बताया। साथ ही साथ में यह भी संकेत दे दिया कि ईमानदार मुख्यमंत्री योगी के सामने विपक्षी नेताओं की भ्रष्टाचार में लिप्त होने का एक समूह जैसा बना हुआ है। प्रधानमंत्री के कहने के अंदाज से यह लग रहा था कि योगी तो ईमानदार है लेकिन विपक्ष जिसने भ्रष्टाचार किया उसे जांच एजेंसिया छोड़ेंगी नहीं। अघोषित रूप से विपक्ष के उन नेताओं के लिए चेतावनी है जिनके खिलाफ सीबीआई, ED, आय से अधिक सम्पति व अन्य भ्रष्टाचार के मामले विभिन्न केंद्र एवं प्रदेश के जांच एजेंसियों के यहाँ लंबित है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 26 जनपद और 130 विधानसभा सीटें हैं। यह माना जा रहा है कि पिछले चुनाव की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 7 चरण में अलग अलग एजेंडे तय किये थे। कहीं कब्रिस्तान श्मशान गधा कसाब आदि शामिल थे। इसी तरह 2022 के विधानसभा चुनाव में अलीगढ़ की रैली में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए, मध्य बुंदेलखंड और पूर्वांचल की रैलियों में समय काल परिस्थितियों के अनुसार एजेंडे तय होंगे और इन्हीं एजेंडों के आस पास विपक्ष को घेरने का प्रयास होगा।
राजेन्द्र द्विवेदी
(वरिष्ठ पत्रकार)