हर परिस्थिति को अवसर में बदलें


दुःख हमें अन्दर से मजबूत बनाने के लिये आते हैं। ऐसे समय में ईश्वर से प्रार्थना करें कि शरीर को स्वस्थ एवं कर्मठी ,मन को स्थिरता , वाणी को मधुरता, सद्बुद्धि ,कार्य के लिये श्रद्धा–उत्साह-पराक्रम-धैर्य ,धर्मानुसार निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करें। हर परिस्थिति को अवसर में बदलें। 

जीवन की कोई ऐसी परिस्थिति नहीं जिसे अवसर में ना बदला जा सके। हर परिस्थिति का कुछ ना कुछ सन्देश होता है। अगर आपके पास किसी दिन कुछ खाने को ना हो तो श्री सुदामा जी की तरह प्रभु को धन्यवाद दें कि प्रभु ! आज आपकी कृपा से यह एकादशी जैसा पुण्य मुझे प्राप्त हो रहा है। अगर कभी भारी संकट आ जाये तो माँ कुंती की तरह भगवान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें कि प्रभु मेरे जीवन में यह दुःख ना आता तो मैं आपको कैसे स्मरण करता ? मैं अपने सुखों में उलझकर कहीं दिग्भ्रमित ना हो जाऊँ, इसीलिए आपने मेरे ऊपर यह कृपा की है।
हर पल प्रभु को धन्यवाद दें और दिल से यह प्रार्थना करते रहें-

तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक।
साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक॥

अर्थ: तुलसीदास जी कहते हैं, किसी विपत्ति यानि किसी बड़ी परेशानी के समय आपको ये सात गुण बचायेंगे :- आपका ज्ञान या शिक्षा, आपकी विनम्रता, आपकी बुद्धि, आपके भीतर का साहस, आपके अच्छे कर्म, सच बोलने की आदत और ईश्वर में विश्वास। इसलिए इन गुणों को विकसित करने के लिये दिल से यह प्रार्थना करते रहें,और हर पल प्रभु को धन्यवाद दें कि आपने हमें अन्दर से मजबूत बनाने के लिए ये दुःख दिये है

यो वः शिवतमो रसस्तस्य भाजयतेह नः।
उशतीरिव मातर:॥ (सामवेद 1838)

अर्थात्:- हे सर्वव्यापक सर्वान्तर्यामी प्रभो! जो आपका अत्यन्त कल्याणकारी रस है, उसका इस मानव चोले में हमें बच्चों का कल्याण चाहने वाली माताओं के समान सेवन कराओ। अर्थात बच्चे अबोध होते हैं वे अपना भला बुरा नहीं जानते। लेकिन स्वार्थ रहित एवं आचरणवान मां अपने बच्चे के जीवन के कल्याण के लिये उन्हें कर्मठी,आचरणवान तथा सद्बुद्धि की शिक्षा (अच्छी बुद्धि) देती है उसी प्रकार हे ईश्वर ,हमारे शरीर को स्वस्थ एवं कर्मठी, मन को स्थिरता, वाणी को मधुरता, सद्बुद्धि ,कार्य के लिये श्रद्धा – उत्साह -पराक्रम-धैर्य ,धर्मानुसार निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करे

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