भाजपा राज में किसान नहीं पूंजी घरानों को मिलता है संरक्षण- अखिलेश यादव

लखनऊ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार का किसानों के प्रति रवैया पूर्णतया अपमान जनक और संवेदनशून्य है। तीन किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने तथा एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर चल रहे ऐतिहासिक किसान आंदोलन को चलते हुए 10 महीने हो रहे है।

उसका स्वरूप और आकार बढ़ता ही जा रहा है। अर्थव्यवस्था में ग्रामीण कृषि का प्रथम स्थान आता है। भाजपा राज में गांव पूर्णतया उपेक्षित हैं। खेती-किसानी बर्बाद है। किसान को न तो फसलों का एमएसपी मिल रही है और नहीं किसान की आय दुगनी करने का वादा निभाया जा रहा है। गन्ना किसानों का 10 हजार करोड़ रूपये से ज्यादा बकाया है। जब भाजपा सरकार बकाया ही नहीं दे पा रही है तो वह उस पर लगने वाला ब्याज कहां से अदा करेगी? उत्तर प्रदेश में 2022 के विधान सभा चुनावों को दृष्टिगत मुख्यमंत्री किसानों को तरह-तरह का लालच देकर राजनीतिक स्वार्थपूर्ति करना चाहते है। मुख्यमंत्री साढ़े चार वर्ष बाद चाहे जो घोषणा करे उससे किसानों का कोई दीर्घकालिक लाभ नहीं हो सकता। भाजपा को सत्ता से बाहर जाना ही होगा। वस्तुतः भाजपा कृषि की स्वतंत्रता समाप्त कर उसे उद्योग बनाने का षड्यंत्र कर रही है। किसान हितों की उपेक्षा करना भाजपा के चरित्र में है। भाजपा राज में किसान नहीं पूंजी घरानों को संरक्षण मिलता है। उसकी कृषि नीति इसीलिए किसान के बजाय पूंजीघरानों और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के हितों को आगे बढ़ाती है। तीन कृषि कानून इसके स्पष्ट उदाहरण है।

एमएसपी की अनिवार्यता की मांग पर भाजपा सरकार इसलिए ढुलमुल रवैया अपना रही है। भाजपा की किसान विरोधी नीतियों के चलते कृषि में उपयोग आने वाली चीजें महंगी हो रही है। सिंचाई में काम आने वाला डीजल महंगा हो गया है। बिजली महंगी हो गई है। कीटनाशक, बीज, दवा, खाद सभी मंहगी है। इससे कृषि उत्पादों की लागत स्वभाविक रूप से बढ़ी है जबकि किसान को लागत मूल्य भी फसल बिक्री से नहीं मिल पाता है। कहने को भाजपा ने अपने तीन काले कृषि कानूनों में किसान को देश में कहीं भी अपना उत्पादन बेचने की छूट दे रही है पर इसके साथ ही परिवहन और कृषि उपयोगी चीजों के दाम बढ़ाकर किसान को लाचार बना दिया गया है। किसानों की बर्बादी की यह पूरी पटकथा लिखकर भाजपा ने जता दिया है कि वह किसानों को पूरी तरह बर्बाद करके ही दम लेगी। इधर तो असमय की अतिवृष्टि ने भी किसानों और खेती को काफी नुकसान पहुंचाया है। सरकार ने उन्हें कोई मुआवजा नहीं दिया। धान-गेहूं खरीद में बड़ी कम्पनियों को लाभ पहुंचाने के लिए बहुत जगह क्रयकेन्द्र खुले नही और जहां खुले भी तो किसान की फसल खरीदी नहीं गई। 

किसान की फसल बिचैलियों के हाथों औने पौने दामों में बिक गई। भाजपा सरकार यही तो चाहती है। समाजवादी सरकार के समय कृषि और ग्रामीण विकास के लिए 75 प्रतिशत बजट राशि रखी गई थी। सिंचाई मुफ्त की गई थी। बुवाई से पहले ही यूरिया डीएपी, दवा, कीटनाशक आदि का स्टॉक जमा कर लिया जाता था ताकि समय पर उनका अभाव न हो। भाजपा सरकार न तो बाढ़ में बचाव कर पाती है न किसान को एमएसपी दिला पाती है नहीं उसके उत्पाद के लिए जरूरी चीजों की व्यवस्था कर पाती है। किसान आज बुरी तरह आक्रोशित है वह भाजपा सरकार में शोषण और काले कानूनों का शिकार है। भाजपा सरकार उसकी उचित मांगे मानने को भी तैयार नहीं है। अब किसान ऐसी अमानवीय सरकार से निजात पाने को तत्पर हैं। समाजवादी सरकार में ही किसानों के साथ न्याय होगा।

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