सैनिक की पत्नी ने नहीं छोड़ी हिम्मत, दिलाया दिवंगत पति को अधिकार- विजय कुमार पाण्डेय

लखनऊ। सेना कोर्ट ने पत्नी को दिव्यांगता पेंशन और फेमिली पेंशन देने का भारत सरकार को आदेश दिया है। मेडिकल परीक्षण के समय मेडिकल बोर्ड ने दे क्रिप्टिक ओपिनियन सैनिकों के साथ उदारता पूर्ण रुख अपनाए रखने के लिए सरकार से निवेदन किया है।
 
सैनिक की पत्नी ने अपनी हिम्मत और उम्मीद नहीं छोड़ी और दिवंगत पति को अधिकार दिलाया। सेना कोर्ट लखनऊ की उमेश चन्द्र श्रीवास्तव अरु अभय रघुनाथ कार्वे की खण्ड-पीठ ने तैंतीस वर्ष बाद पत्नी को दिव्यांगता पेंशन और फेमिली पेंशन देने का आदेश भारत सरकार को दे दिया है। मामला यह था कि आशिया बेगम के पति सन 1965 में सेना में भर्ती हुआ और सन 1988 में लगभग 23 वर्ष की सेवा के पश्चात सेप्टि थ्राम्बो एम्बोलिज्म की बीमारी में यह कहकर निकाल दिया गया कि इस बीमारी का सेना से कोई मतलब नहीं।
 
2019 में सैनिक हिदायतउल्ला द्वारा अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय के माध्यम सेना कोर्ट में मुकदमा दायर किया गया लेकिन दौरान मुकदमा 2019 में वादिनी के पति का देहावसान हो गया, तब सैनिक की पत्नी आशिया बेगम ने लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया। विजय पाण्डेय ने वादिनी की तरफ से जोरदार दलील देते हुए वादिनी का पक्ष रखा, जिसके बाद खण्ड-पीठ ने आदेश किया किया कि प्रार्थिनी विकलांगता पेशन पाने की हक़दार है और उसके पति की मृत्यु की तिथि से वादिनी फैमिली पेशन की भी हक़दार होगी, जिसे चार महीने के अंदर न दिया गया तो वादिनी 8% व्याज की हकदार होगी, जिसे सरकार को देना पड़ेगा।

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