महिला एवं बाल विकास व बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की पहल
लखनऊ। प्रदेश
में महिलाओं तथा बच्चों की सुरक्षा, सम्मान व स्वावलम्बन को लेकर पिछले
माह अगस्त से शुरू हुए मिशन शक्ति के तीसरे चरण की मुहिम रंग ला रही है।
सात अगस्त से आठ सितम्बर के बीच महिला एवं बाल विकास और बाल विकास सेवा एवं
पुष्टाहार विभाग के सम्मिलित प्रयास से विभिन्न आयोजनों के जरिये
10,75,595 लोगों के बीच जागरूकता की अलख जगाई गयी है।
इनमें करीब 4.80 लाख
पुरुष, 5.94 लाख महिलाएं/बालिकाएं व चार अन्य शामिल हैं। महिला
कल्याण विभाग के निदेशक मनोज कुमार राय ने बताया कि इस एक माह के दौरान
आयोजित किये गए कार्यक्रमों के जरिये समस्याओं का समाधान करते हुए लोगों को
मिशन शक्ति के प्रति जागरूक किया गया। इन आयोजनों में ‘हक की बात
जिलाधिकारी के साथ, कन्या जन्मोत्सव, ग्राम बाल संरक्षण समितियों की बैठक,
स्वावलम्बन कैम्प, मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना, मेगा इवेंट रक्षा
उत्सव और कानूनी जागरूकता अभियान’ प्रमुख रहे। उन्होंने बताया कि गत सात
अगस्त को ‘हक की बात जिलाधिकारी के साथ’ कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसमें
महिलाओं व बच्चों के प्रति यौन हिंसा, लिंग असमानता, घरेलू हिंसा, कन्या
भ्रूण हत्या, कार्यस्थल पर यौन हिंसा और दहेज हिंसा आदि के मुद्दों को लेकर
71 जनपदों में दो घंटे का इंटरफेस कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इसमें 1040
शिकायतें दर्ज की गयीं और 642 का समाधान कार्यक्रम के दौरान ही किया गया।
अन्य प्रकरणों पर जिलाधिकारियों द्वारा संबंधित विभागों को निर्देशित किया
गया है। प्रदेश के सभी जिलों में 11 अगस्त को ‘कन्या
जन्मोत्सव’ मनाया गया। इसके तहत सरकारी अस्पतालों यानि जिला अस्पताल,
सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आदि में पैदा हुईं 1778 बालिकाओं का
जन्मोत्सव मनाया गया। मां-बेटियों को उपहार बांटे गए। जन्मी बालिकाओं को
सुरक्षा प्रदान करने के दृष्टिगत प्रतीकात्मक रूप से 1406 पौधे लगाए गए और
पुरुषों व बालकों को इन पौधों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपकर ‘पुरुष
सहभागिता’ सुनिश्चित की गई। 11 अगस्त को 19890 तथा आठ सितम्बर को 2498
ग्राम सभाओं के स्तर पर ग्राम प्रधानों की अध्यक्षता में ‘ग्राम बाल
संरक्षण समितियों की बैठक’ हुई। बैठकों का मुख्य एजेंडा महिलाओं और बच्चों
को विभिन्न विभागीय योजनाओं से जोड़ने के लिए आयोजित किए जाने वाले
‘स्वावलंबन कैम्प’ की तारीख, स्थान और उद्देश्य के बारे में स्थानीय लोगों
को सूचित व उन्हें जागरूक करना था।
विभाग द्वारा समस्त ग्राम बाल संरक्षण
इकाई को पहले से निर्देशित किया गया कि वह मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला
योजना, उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना तथा पति की मृत्युपरांत निराश्रित
महिला पेंशन योजना के आवेदन पहले से तैयार कर लें जिससे कैम्पों के दौरान
अधिक से अधिक लाभार्थियों के लिए अनुमोदन प्राप्त किया जा सके। 12 अगस्त और
25 अगस्त को मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना, उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा
योजना तथा पति की मृत्युपरांत निराश्रित महिला पेंशन योजनाओं के अंतर्गत
आवेदन, उनके सत्यापन और अनुमोदन के लिए ‘सिंगल विंडों’ प्रदान करने के
उद्देश्य से 72 जनपदों ने ‘स्वावलंबन कैम्पों’ का आयोजन किया। कैम्पों के
दौरान मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के 12052, पति की मृत्युपरांत
निराश्रित महिला पेंशन योजना के 4033, उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के
906 और उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना सामान्य के 680 आवेदन प्राप्त किए
गए। इनमें मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के 10182, पति की मृत्युपरांत
निराश्रित महिला पेंशन योजना के 2438, उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के
307 और उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना सामान्य के 205 आवेदन स्वीकृत हुए।
मुख्यमंत्री
कन्या सुमंगला योजना अगस्त में मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना का लाभ
अधिक से अधिक परिवारों तक पहुंचाने के लिए विशेष अभियान चलाया गया । सभी
जिलों को लक्ष्य दिए गए, नतीजतन लगभग 1,55,000 नई पात्र बालिकाओं को योजना
के अंतर्गत लाभान्वित किया गया। 21 अगस्त को मिशन शक्ति 3.0 लॉन्च
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा बटन दबाकर उनके
खातों में देय लाभ की धनराशि भेजी गई। मेगा इवेन्ट
रक्षा उत्सव के माध्यम से बच्चों और महिलाओं को विभिन्न प्रकार की हिंसा से
बचाने के लिए सार्वजनिक स्थानों जैसे-हाट-बाजार आदि में कार्यक्रम आयोजित
कर जनसामान्य को जागरूक किया गया । ‘बेटियों से पहचान’ थीम पर परिवारों और
दुकानदारों को अपने परिवार की महिलाओं और बेटियों के नाम पर अपने घरों और
दुकानों का नाम देने के लिए प्रेरित किया गया।
आयोजन के दौरान 75 जनपदों
में 1632 गतिविधियां आयोजित की गईं, जिसमें टीम ने 3,06,925 व्यक्तियों
(महिला 1,11,526, पुरुष 1,13439, बालिका 47,676, बालक 34,284) को जागरूक
किया। इसके अलावा तीन सितम्बर को सभी जिलों में महिलाओं तथा बच्चों के
प्रति हिंसा से संबंधित विभिन्न कानूनों तथा अन्य प्रावधानों जिनमें
कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन शोषण, घरेलू हिंसा, नशे में मारपीट, छेड़खानी,
बलात्कार, यौन हमला, यौन शोषण, यौन दुव्र्यवहार, एसिड अटैक, साइबर क्राईम
सहित अन्य स्थानों पर मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न तथा शोषण, तस्करी,
बाल-विवाह, भेदभाव, बालश्रम, आदि के बारे में जागरूकता अभियान चलाया गया।
इसके तहत 75 जनपदों में 2674 गतिविधियां आयोजित की गईं, जिसमें टीम ने
1,01,991 व्यक्तियों (महिला 39,010, पुरुष 21,181, बालिका 23,195, बालक
15,921) को जागरूक किया।