वाह रे पूर्वांचल विधुत वितरण निगम
वाराणसी। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम भले ही कंगाली की मार झेल रहा हो
जहाँ छोटे ठेकेदारों को अपने काम के भुगतान के लिए आंदोलन करना पड़ रहा हो
वही कार्पोरेशन के फरमान पर बड़ी कार्यदायी कम्पनियां इस विभाग को चुना
लगाकर दीमक की तरह खोखला करने पर आमादा है क्योंकि यह विभाग को कंगाली की
ओर ढकेलने में इनका बड़ा योगदान है।
2020 में प्रयागराज में बिलिंग का काम
देखने वाली एक कार्यदायी संस्था ने सैकड़ो उपभोक्ताओं के विद्युत बिजको को
एक स्थानांतरण हो चुके बाबू की 2019 से निष्क्रिय आईडी से अधिशासी अभियंता
के साथ गठजोड़ कर आईडी को सक्रीय कर के विभाग को लगभग एक करोड़ का चूना लगाया
और मजे की बात है कि वही कार्यदायी कम्पनी आज भी प्रयागराज में कार्यरत
हैं इस घोटाले की पोल खुलने पर जब हंगामा मचा तो एक जांच कमेटी का गठन कर
जांच शुरू कर दी गयी परन्तु भ्रष्टाचार की जांच अगर भरस्टाचारियो द्वारा
करायी जाएगी तो परिणाम क्या होगा। इस घोटाले में घोटाले के समय तैनात अधिशासी अभियंता एवं कम्पनी को बचाने के चक्कर में एक बाबू को जबरन फसा कर
मामले को लगभग एक वर्ष से एक बड़ी साजिश के तहत उलझाया जा रहा है।
जबकि
सूत्र बताते हैं कि अब तक कि जांच में स्पष्ट तौर पर अधिशासी अभियंता और
कार्यदायी कम्पनी द्वारा इस घोटाले को अंजाम देने की बात साफ हो चुकी है
परन्तु जिन अधिकारियों को इस जांच की जिम्मेदारी सौपी गयी है वो खुलकर
अधिशासी अभियंता और कार्यदायी तथाकथित कम्पनी को बचाने की साजिश में मशगूल
नजर आ रहे है यानी बड़ी मछलीयो को बचाने में छोटी मछली को निगलने की पूरी
तैयारी को अंजाम देने की साजिश करती जांच कमेटी दिख रही। खैर समय के
साथ-साथ और धोटाले खुलते रहेगे जाँच दिखावे को होती रहेगी क्योकि पावर
कार्पोरेशन नामक इस कोयले के कमरे से कोई बेदाग नही निकला चाहे वो बडका
बाबू हो या सविदा कर्मी इस हमाम मे सब नंगे है जाचे चलती है जिन्दगी भर
घोटाले करते है सेवानिवृत्त से पहले एक इंक्रीमेंट बैक होता है यानी
जिन्दगी भर कार्पोरेशन को लूटा खूब पेट भर के चाँदी का जूता खाया और फिर
उसमे से थोडा निकाल कर जिम्मेदारो को मारा और निकल लिए यह है सच्चाई पावर
कार्पोरेशन के डूबने की।