राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व भूतपूर्व गौरवशाली प्रधानमन्त्री लालबहादुर शास्त्री को शत शत नमन
जो एक बार गांधी को ठीक से जान लेगा, वह गांधी को गाएगा गाता ही रहेगा राष्ट्र कवि सोहनलाल द्विवेदी की इस कविता को मन करे तो आप भी पढ़िए और गाइए।
चल पड़े जिधर दो डग, मग में
चल पड़े कोटि पग उसी ओर ;
गड़ गई जिधर भी एक दृष्टि
गड़ गए कोटि दृग उसी ओर,
जिसके शिर पर निज हाथ धरा
उसके शिर- रक्षक कोटि हाथ
जिस पर निज मस्तक झुका दिया
झुक गए उसी पर कोटि माथ ;
हे कोटि चरण, हे कोटि बाहु
हे कोटि रूप, हे कोटि नाम !
तुम एक मूर्ति, प्रतिमूर्ति कोटि
हे कोटि मूर्ति, तुमको प्रणाम !
युग बढ़ा तुम्हारी हँसी देख
युग हटा तुम्हारी भृकुटि देख,
तुम अचल मेखला बन भू की
खीचते काल पर अमिट रेख ;
तुम बोल उठे युग बोल उठा
तुम मौन रहे, जग मौन बना,
कुछ कर्म तुम्हारे संचित कर
युगकर्म जगा, युगधर्म तना ;
युग-परिवर्तक, युग-संस्थापक
युग संचालक, हे युगाधार !
युग-निर्माता, युग-मूर्ति तुम्हें
युग युग तक युग का नमस्कार !
दृढ़ चरण, सुदृढ़ करसंपुट से
तुम काल-चक्र की चाल रोक,
नित महाकाल की छाती पर
लिखते करुणा के पुण्य श्लोक !
हे युग-द्रष्टा, हे युग सृष्टा,
पढ़ते कैसा यह मोक्ष मन्त्र ?
इस राजतंत्र के खण्डहर में
उगता अभिनव भारत स्वतन्त्र !
आज दो महान सख्सियत राष्ट्र पिता महात्मा गांधी व् देश के भूतपूर्व गौरवशाली प्रधानमन्त्री लालबहादुर शास्त्री जी की जन्म तिथि है दोनों को शत शत नमन हमे इनके विचारो को अपना कर देश व् समाज में सकारात्मक योगदान देना चाहिये जिससे एक समृद्धि व् सशक्त भारत का निर्माण हो सके जय हिन्द जय भारत।