आतंकियों के खिलाफ एकजुट होने का यही है सही समय

आतंकवादियों के द्वारा भीड़ से सिक्ख और हिन्दू छांट कर अलग किये गए और सड़क पर ले जाकर गोली मार दी गयी ताकि देश हिन्दू मुस्लिम में उलझ कर गृहयुद्ध की आग में झुलस सके। श्रीनगर की एक स्कूल की प्रिंसिपल सुखविंदर कौर थीं, वे सिख थीं। उन्होंने एक मुस्लिम लड़की को गोद लिया था उसे पढ़ाया लिखाया। सुबह सुबह आतंकियों ने इन्हें और एक दूसरे हिंदू टीचर दोनों को भीड़ से अलग किया और सड़क पर ले जाकर गोली मार दिया।

पिक्चर समझिए। श्रीनगर के उस स्कूल में मुस्लिम आतंकियों ने सारे टीचर को लाइन में खड़ा किया। सबके आईकार्ड देखे। जिनके नाम मुस्लिम थे उन्हें छोड़ दिए। एक सिख महिला जो प्रिंसिपल थी और एक हिंदू टीचर थे, उन्हें अलग निकाला और गोली मार दी। दोनों की हत्या कर दी। यहां समस्या इस्लाम मे नही है बल्कि इस्लाम के नाम पर हिन्दू को गोली मारने की है। इसके पीछे इनकी फिलासफी ही ये है कि वे सन्देश देना चाहते है कि मुसलमान छोड़कर अन्य धर्मानुयायियों के वे विरोधी हैं। वही सन्देश यहां प्रसारित हुआ भी। लोगो ने फिर से मुस्लिम के खिलाफ अपनी अपनी वाल पर लिखा। आज कोई भी चैनल या डिजिटल प्लेटफॉर्म खोल कर देख लीजिए, सबमे शीर्षक ये नही है कि दो लोगो को गोली मार दी बल्कि शीर्षक है कि मुसलमानो को छोडकर एक हिन्दू और सिख को गोली मार दी।

मैने खुद भी उपर यही लिख है क्योंकि हुआ ही यही है यानी यही किया गया है यहां अपना मैसेज देने के लिए। इन हत्याओं के बाद कश्मीर में अल्पसंख्यक हिंदू और सिख समुदायों के बीच भय का माहौल हो गया है। मारे गए शिक्षक कश्मीरी पंडित दीपक चंद के घर वालो ने यहां तक कहा है कि कश्मीर उनके लिए स्वर्ग नहीं है, बल्कि नर्क है, उन्हें पिछले 30 सालों से निशाना बनाया जा रहा है। आतंकियों की क्रोनोलॉजी समझने की जरूरत है कि जब इन आतंकवादियों की निगाहों में भारतीय मुसलमान मुहाजिर माना जाता है बल्कि मुसलमान नही माना जाता है तो उन्हें जिंदा क्यों छोड़ दिया गया? क्यों एक गैर मुसलमान को गोली मार दी गयी? इसलिए क्योंकि भारत मे धार्मिक आधार पर अलगाववाद फैलाना और गृहयुद्ध में धकेलना उनके एजेंडे का हिस्सा है। आतंकवादियों के इसी एजेंडे को हमे समझना चाहिए।

वे देश में साम्प्रदायिकता फैला कर हमे गृहयुद्ध में झोंकना चाहते हैं। इसलिए इस मसले पर हिम्मत जुटाकर देश के समस्त लोगो को खासकर सभी मुस्लिमो को इन आतंकियों के खिलाफ एकजुट हो जाना चाहिये। इस लम्बी चौड़ी लॉबी के खिलाफ एकजुट होने की हिम्मत तो बटोरनी ही होगी अन्यथा सरकारे कोई भी हों किन्तु आने वाला समय समाज को बर्बादी के रास्ते पर ले जाकर ही दम लेगा। नस्लें हमारी और आपकी तबाह होंगी। यही सच है।

 

-निखिलेश मिश्रा

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