देश व प्रदेश की आत्मनिर्भरता के लिए गुणवत्तायुक्त शिक्षा आवश्यक- डा दिनेश शर्मा

गोरखपुर। उपमुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा ने कहा कि  नवरात्रि के पावन अवसर पर महायोगी बाबा गोरक्षनाथ की पावन धरती पर आरंभ होने जा रहा महंत अवेद्यनाथ राजकीय महाविद्यालय शिक्षित समाज की स्थापना की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। इस महाविद्यालय में पढने वाले विद्यार्थी  यहां से गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्राप्त कर देश और बेहतर समाज के निर्माण में योगदान दे सकेंगे। जंगल कौडिया के रसूलपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा  महंत अवेद्यनाथ राजकीय महाविद्यालय के लोकर्पण के अवसर पर  आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि गुरू गोरक्षनाथ की धरा पर ज्ञान का एक ऐसा प्रकाशपुंज आरंभ हो रहा है जिससे आने वाले समय में  तमाम पीढिया रोशन होंगी।
 
सरकार का मत है कि देश व प्रदेश की आत्मनिर्भरता के लिए गुणवत्तायुक्त शिक्षा आवश्यक है। पिछले साढे चार साल में इस दिशा में  अनेक कदम उठाए गए हैं। इनके सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को नया मुकाम दिया है। नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में भी प्रदेश अग्रणी है और अभी हाल ही में ही  केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने भी सरकार के प्रयासों की सराहना की है।  उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने जब सत्ता संभाली थी तो प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था खस्ताहाल थी। नकल के लिए प्रदेश बदनाम था। पिछले साढे चार साल में उन परिस्थितियों से प्रदेश को  बाहर निकालने को काम किया गया है। सी ग्रेड में पहुच चुकी शिक्षा व्यवस्था को फिर से सुधार कर ए ग्रेड में लाया गया है। जिस प्रदेश में नकल के ठेके उठा करते थे वहां की नकलविहीन परीक्षा प्रणाली आज दूसरे प्रदेशों के लिए उदाहरण बन रही है। तकनीक के प्रयोग से परीक्षा सिस्टम की पूरी तस्वीर ही बदल दी है। प्रदेश को लेकर देशभर के लोगों की धारणा में बडा बदलाव आया है।
 
आज का यूपी पिछलग्गू नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों को राह दिखा रहा है। 44 योजनाओं के क्रियान्वयन में यूपी प्रथम स्थान पर है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में क्रान्तिकारी सुधार किए गए हैं। नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दिशा में टाइमलाइन तय कर आगे बढा जा रहा है। इस सत्र से स्नातक पाठयक्रम की पुनर्संरचना कर उसे लागू करने की तैयारी कर ली गई है। नई शिक्षा  नीति के अनुरूप पाठयक्रम में कौशल विकास, भारतीय ज्ञान परम्परा तथा सर्वांगीण विकास पर जोर दिया गया है। पढने वाले छात्र ज्ञान  हासिल  करने के साथ रोजगार पाने अथवा देने वाले बने इस बात पर विशेष फोकस है। नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन से आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की बुनियाद को मजबूत किया जा रहा है। विदेशी विश्वविद्यालयों के कैम्पस प्रदेश में खुले इस दिशा में भी काम हो रहा है।  छात्रों को उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए दूर.दराज न जाना पड़े इसके लिए प्रदेश में 8 नए विश्वविद्यालय व 69 महाविद्यालय बनाए जा रहे हैं। यह कदम उच्च शिक्षा के प्रसार में महत्वपूर्ण कडी हैं।  राज्य के विश्वविद्यालय अब नवाचार और शोध के केन्द्र बन रहे हैं।
 
महायोगी गुरु गोरक्षनाथ के लोकोपयोगी मन्तव्यों एवं उपदेशों को एकत्रित कर योगानुकूल सिद्धातों और प्रयोगों को जीवनोपयोगी कार्य एवं व्यवहार में परिवर्तित करने के लिए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर में महायोगी गुरु  गोरक्षनाथ शोधपीठ की स्थापना की गयी है। इसी प्रकार पंडित दीनदयाल उपाध्याय के व्यक्तित्व, कृतित्व एवं चिंतन पर शोध-कार्य हेतु प्रदेश के 15 राज्य विश्वविद्यालयों में पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ की स्थापना की गयी है। शोध कार्यों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ में भाऊराव देवरस शोधपीठ तथा अभिनव गुप्त इंस्टीट्यूट ऑफ शैव फिलॉसफी एवं एस्थेटिक्स की स्थापना की गयी है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर लखनऊ विश्वविद्यालय में ‘अटल सुशासन पीठ’ की स्थापना की गयी है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर डी.ए.वी. कालेज, कानपुर में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की गयी है। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु, सिद्धार्थनगर को अन्तर्राष्ट्रीय बुद्धिस्ट सेंटर एवं सेंटर फार एक्सीलेंस इन हिंदुइज्म, बुद्धिज्म, जैनिज्म के रूप में विकसित किये जाने का निर्णय लिया गया है।
 
राज्य सरकार ने तकनीक के प्रयोग से ज्ञान के प्रसार की दिशा में एक और अनूठी पहल की है। प्रदेश में डिजिटल लाइब्रेरी का निर्माण कराया गया है। इस पर शिक्षकों द्वारा लगभग 76,000 ई-कन्टेंट अपलोड किये जा चुके हैं। अब विद्यार्थी  घर बैठे ही इसका उपयोग कर पा रहे हैं। सरकार की यह पहल भी अनुकरणीय  हो रही है। प्रदेश में डिजिटिल डिवाइड को कम करने के लिए ई लर्निंग पार्क की स्थापना कराई जा रही है। प्रदेश के राजकीय महाविद्यालयों  के पुस्तकालयों में प्री.लोडेड टैब उपलब्ध कराए जा रहे हैं जिनमें कोर्स के अनुरूप शिक्षण सामग्री पहले से उपलब्ध है। प्रदेश के विश्वविद्यालयों, राजकीय महाविद्यालयों एवं सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों पर आवश्यकतानुसार  परदर्शी व्यवस्था के तहत नियुक्तियाँ प्रदान की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि  महन्त अवेद्यनाथ  जी महाराज की स्मृति में आरंभ हो रहा यह महाविद्यालय शिक्षा के प्रसार  में उनके योगदान की श्रंखला को  आगे बढाएगा। समाज के कमजोर तबकों के उत्थान और कल्याण के लिए समर्पित महंत राष्ट्रीयता और भारतीय संस्कृित के अनन्य उपासक थे। उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रनिर्माण और समाज की सेवा में समर्पित कर दिया था।
 
मुख्यमंत्री ने 21 मई 2018 को जिले के तीसरे राजकीय महाविद्यालय के रूप में महंत अवेद्यनाथ राजकीय महाविद्यालय की आधारशिला रखी थी। अब यह बनकर तैयार है और उच्च शिक्षा का प्रकाश फैलाएगा।  पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध महंत अवेद्यनाथ राजकीय महाविद्यालय में कला , विज्ञान एवं वाणिज्य कक्षाएं चलाने  मंजूरी मिल चुकी है।  यह कॉलेज आसपास के क्षेत्र की उन विद्यार्थियों  के लिए वरदान साबित होगा जो अधिक दूर जाकर शिक्षा ग्रहण करने में दिक्कतों का सामना करते हैं। इस राजकीय महाविद्यालय के मुख्य भवन में प्राचार्य कक्ष, 03 फैकल्टी रूम, 04 लैब, 14 क्लास रूम, वाचनालय सहित अत्याधुनिक लाइब्रेरी एवं कम्प्यूटर कक्ष के साथ परीक्षा कक्ष का निर्माण किया गया है। महाविद्यालय में छात्र-छात्राओं के लिए दो छात्रावासों का निर्माण भी किया गया है। महाविद्यालय से सटे एक अत्याधुनिक आडिटोरियम भी है जिसमें 462 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता है, जिसमें इनडोर गेम बैडमिंटन/टेबल टेनिस खेलने की भी व्यवस्था है।
 
महाविद्यालय परिसर में ही ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी की 14 कुंतल वजन की एक 12 फीट ऊँची भारी-भरकम कांस्य-प्रतिमा स्थापित की गई है जो विद्यार्थियों को उनके  आदर्शो के प्रति प्रेरित करती रहेगी। उन्होंने समारोह के पूर्व प्रमुख उच्च शिक्षा, रजिस्ट्रार पं. दीनदयाल उपाध्याय  गोरखपुर विश्वविद्यालय, क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी,  संयुक्त शिक्षा निदेशक एवं गोरखपुर मंडल के जिला विद्यालय निरीक्षकों के साथ बैठक कर विभागीय कार्यो की प्रगति की समीक्षा भी की। बैठक में पारदर्शिता के साथ कार्यों का तेजी से संम्पादित करने के निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि कोविड अभी गया नहीं हैं इसलिए हर स्तर पर पूरी सावधानी बरती जाए। नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन  में भी टाइमलाइन का पूरा ध्यान रखा जाए।

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