जीवन का लक्ष्य शान्ति प्राप्ति ही है


अगर परिस्थिति ऐसी बन जाये जब शांति और सत्य में से किसी एक को चुनना पड़ पड़े तो निःसंकोच सत्य को चुन लेना ही श्रेष्ठ है शांति बनाये रखने के लिए सत्य को ही छोड़ देना यह उचित नहीं है। 

भगवान राम और कृष्ण चाहते तो अपनी शांति के लिए कभी भी असत्य का विरोध ना करते उन्होंने केवल और केवल इसीलिए अशांति, समस्या भरे जीवन के दुर्गम मार्ग को स्वीकार किया ताकि सत्य का वरण और रक्षण किया जा सके।

यद्यपि जीवन का लक्ष्य शान्ति प्राप्ति ही है मगर वो शांति, जिसकी प्राप्ति सत्य के द्वारा होती है अतः सत्य के लिए शांति छोड़ी जा सकती है मगर शांति के लिए सत्य कदापि नहीं कभी सत्य का पालन मुस्कुराकर होता है, कभी बोलकर और कभी चुप रहकर तो कभी युद्ध के द्वारा होता है यह अपने विवेक से चिन्तन करते रहें।

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